कालीनाथ कालेश्वर महादेव मंदिर के अधिग्रहण को लेकर हाई कोर्ट सख्त

शिमला। कांगड़ा के ऐतिहासिक कालीनाथ कालेश्वर महादेव मंदिर का अधिग्रहण करने के खिलाफ दायर याचिका में प्रदेश हाई कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार से जवाब-तलब किया है। कोर्ट ने केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय सहित प्रदेश के पर्यटन सचिव, जिलाधीश कांगड़ा व अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर 12 सप्ताह के भीतर जवाब-तलब किया है । मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव व न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने स्वामी विश्वनंद सन्यासी द्वारा दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात उपरोक्त आदेश पारित किया। याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार तहसील परागपुर में व्यास तट पर काली नाथ कालेश्वर महादेव मंदिर सदियों पुराना मंदिर है। लगभग 300 वर्ष पहले बनाए इस मंदिर में महंतों का 150 साल का इतिहास है। यहां शिव व काली माता की पूजा होती है।

यहां पर वैदिक पाठशाला की व्यवस्था कुछ समय से चली आ रही है। यहां पर गोशाला की भी व्यवस्था की गई है। मंदिर की 80 कनाल जगह पहले महंत अरुनानंद के नाम दर्ज थी। बाद में यह मंदिर काली नाथ महंत के नाम दर्ज हो गया। वैदिक पद्धति की शिक्षा दिए जाने के कारण यहां से विद्यार्थी वैदिक शिक्षा ग्रहण करते है। क्योंकि यह मंदिर सरकार की जमीन पर नहीं बनाया गया है इस कारण राज्य सरकार द्वारा इसका अधिग्रहण करना कानून के विपरीत है। सुबह-शाम इस इस मंदिर में रहने वाले महंतों द्वारा पूजा की जाती रही है। मगर अधिग्रहण के पश्चात इन महंतों को सुबह-शाम पूजा करने के लिए अनुमति तो दी गई है मगर यहां आने वाले श्रद्धालुओं को पूजा करवाने व भेंट चढ़ाने की मनाही है। इस गोशाला और लंगर की व्यवस्था भी नहीं हो पा रही है। राज्य सरकार द्वारा अधिसूचना जारी करने से पहले इस विषय में राज्य सरकार की ओर से कोई जरूरी औपचरिकताए पूरी नहीं की और आनन फानन में अधिसूचना जारी कर दी और मंदिर की भूमि को अपने नाम दर्ज करवा लिया। मामले पर सुनवाई 26 मार्च को निर्धारित की गई है।