मौसम के मिजाज व युद्धों से लेट हुआ प्रवासी पक्षियों का आगमन

मथुरा: जिले के छोटे-बड़े वेटलैंड्स पर आगमनी पक्षियों का आगमन इस बार देरी से होगा. इसके लिए अक्तूबर में हुए मौसम परिर्वतन के साथ युद्ध भी जिम्मेदार माने जा रहे है. इससे साइबेरियन पक्षियों के राह भटकने का अनुमान है.
यहां गोकुल बैराज, जोधपुर झाल, यमुना नदी, कीठम झील, कोकिला वन आदि वन्य क्षेत्रों में प्रतिवर्ष प्रवासी पक्षियों का आगमन होता है. यहां यूरोप, साइबेरिया, अलास्का, हिमालय और मध्य एशियाई देशों से बड़ी संख्या में पक्षी आते हैं. इसकी शुरुआत सितंबर के अंत से होती है. इस बार उनका आगमन देरी से हो रहा है. इसका कारण मौसम में हुए परिवर्तन को माना जा रहा है. यहां सितंबर अक्तूबर में हुई बारिश एवं मौसम के गर्म मिजाज ने उनके कदम रोक दिए हैं. फिलहाल छोटे आगमनी पंछी तो आ गए है लेकिन बड़े आकार वाले प्रवासी पक्षियों का आगमन तापमान में गिरावट पर शुरू होगा. बड़े प्रवासी पक्षी नवंबर में आएंगे. उनका प्रवास दिसंबर तक चलेगा.

फिलहाल यहां छोटे आकार के पक्षी रायनेक, रेड-बेक्ड श्राइक, ब्राउन श्राइक, रेड टेल्ड श्राइक, वेगटेल प्रजाति के व्हाइट ब्राउडेड वेगटेल, यलो वेगटेल, व्हाइट वेगटेल, सिट्रिन वेगटेल दिख रहे हैं. नवंबर में प्रवासी पक्षियों में प्रमुख रूप से डोमीसोइल क्रेन रोजी पेलिकन, डालमेशन पेलिकन, ग्रेटर कोमेरिन्ट, रूडी शेल्डक, कमन शेल्डक, ग्रे-लैग गूज, बार-हेडेड गूज, गेडवाल, रिवर टर्न, ब्लैक टेल्ड गोडविट, कमन पोचार्ड, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, ब्राउन हेडेड गल आदि से भी यहां के वेटलैंड गुलजार होंगे.