प्रधानमंत्री मोदी ने की राष्ट्रपति पुतिन से फोन पर बात

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बात की. इस दौरान दोनों नेताओं के बीच विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई. प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया एक्स पर बताया कि अभी राष्ट्रपति पुतिन से बात हुई. इस दौरान दोनों देशों की विशेष रणनीतिक साझेदारी को लेकर चर्चा हुई. साथ ही भविष्य को लेकर रोडमैप तैयार करने पर सहमति बनी. पीएम मोदी ने कहा कि हमारे बीच विभिन्न क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा की गई, जिसमें रूस को मिली ब्रिक्स की अध्यक्षता भी शामिल है.

इससे पहले विदेश मंत्री जयशंकर पांच दिनों की रूस यात्रा पर गए थे. उन्होंने इस दौरान पुतिन से भी मुलाकात की थी. इस मुलाकात के दौरान पुतिन ने प्रधानमंत्री मोदी को भारत आने का न्योता दिया था. इस मुलाकात के दौरान पुतिन ने जयशंकर से कहा था कि हम हमारे अजीज दोस्त प्रधानमंत्री मोदी से मिलना चाहते हैं. हम चाहते हैं कि वो जल्दी ही रूस आएं. प्लीज उन्हें बताएं कि हम उन्हें यहां आमंत्रित करना चाहते हैं. मैं जानता हूं कि अगला साल चुनावों के लिहाज से भारत के लिए बहुत व्यस्त रहने वाला है. अगले साल भारत में आम चुनाव हैं. हम चाहते हैं कि चुनाव में हमारे दोस्त की जीत हो.
Had a good conversation with President Putin. We discussed various positive developments in our Special & Privileged Strategic Partnership and agreed to chalk out a roadmap for future initiatives. We also had a useful exchange of views on various regional and global issues,…
— Narendra Modi (@narendramodi) January 15, 2024
रूस के साथ भारत की नजदीकियां उस समय से ही मजबूत हैं, जब वो सोवियत संघ हुआ करता था. भारत की आजादी से पहले भी नेहरू की वैचारिक नजदीकी सोवियत संघ के साथ ही थी. आजादी के बाद भारत और सोवियत संघ की दोस्ती और मजबूत हो गई. लेकिन ये दोस्ती तब और मजबूत हुई, जब 1971 में भारत और पाकिस्तान की जंग हुई. जंग की इस घड़ी में सोवियत संघ ही था, जिसने भारत का साथ दिया. उस समय अमेरिका ने तो पाकिस्तान का ही साथ दिया. 1971 की जंग से कुछ महीने पहले भारत और सोवियत संघ के बीच एक अहम समझौता हुआ था. इसमें सोवियत संघ ने भरोसा दिलाया कि युद्ध की स्थिति में वो न सिर्फ राजनयिक तौर पर बल्कि, हथियारों के मोर्चे पर भी भारत का साथ देगा. इतना ही नहीं, 1999 में भारत ने जब परमाणु परीक्षण किया तो अमेरिका ने इसका विरोध किया. अमेरिका ने भारत पर कई तरह के प्रतिबंध भी लगा दिए. लेकिन रूस ने ऐसा कुछ नहीं किया.