रूसा का बजट इस्तेमाल न करने पर 25 काॅलेजों के प्रधानाचार्यों से जवाब तलब

शिमला। रूसा (राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान) का बजट इस्तेमाल न करने पर राज्य के लगभग 25 काॅलेजों के प्रधानाचार्यों से जवाबतलबी की गई है। उच्च शिक्षा विभाग की ओर से कालेजों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। इसके तहत कालेज प्रधानाचार्यों को मामले में 7 दिन में स्थिति स्पष्ट करने को कहा गया है। बताया जा रहा है कि इस दौरान अधिकतर काॅलेजों ने वर्ष 2022 में मिले रूसा के बजट का इस्तेमाल नहीं किया है, ऐसे में उन्हें इसका कारण भी बताने को कहा गया है। नोटिस में साफ कहा गया है कि इसका सीधा असर केंद्र सरकार से मिलने वाली अगली ग्रांट पर पड़ेगा। पिछली ग्रांट को खर्च कर उसका यूटिलाइजेशन सर्टीफिकेट देने पर ही केंद्र राज्य को अगली ग्रांट देगी। हालांकि अब केंद्र ने इस योजना को प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान का नाम दिया है।

अब इस योजना के तहत ही प्रदेश के कालेजों को ग्रांट दी जाएगी। विधानसभा की मानव विकास समिति के मैमोरैंडम पर शिक्षा विभाग ने कार्रवाई की है और काॅलेजों से मामले पर एक सप्ताह में जवाब देने को कहा है। बताया जा रहा है कि प्रदेश विश्वविद्यालय ने भी रूसा की ग्रांट खर्च नहीं की है। ऐसे में विश्वविद्यालय से भी मामले पर जवाबतलबी की गई है। केंद्र सरकार ने अक्तूबर 2013 में रूसा यानि राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान शुरू किया था। इसके बाद केंद्र ने रूसा-2 शुरू किया। रूसा-1 के तहत प्रदेश को 224 करोड़ और रूसा-2 के तहत 87 करोड़ की ग्रांट स्वीकृत हुई थी। इस दौरान कुल 310 करोड़ की ग्रांट राज्य के लिए अप्रूव हुई थी। सूत्रों की मानें तो रूसा-1 के तहत 224 करोड़ की ग्रांट ही प्रदेश को मिली है जबकि रूसा-2 के तहत 87 करोड़ में से भी 50 प्रतिशत ग्रांट ही मिल पाई है। वर्ष 2018 के बाद यह प्रक्रिया सुस्त हो गई थी। सूत्रों की मानें तो पूर्व में अप्रूव बजट के तहत राज्य के करोड़ों रुपए की राशि केंद्र के पास पैंडिंग है।