हाईकोर्ट ने बेदखली मामलों के लिए समन सेवा में उचित परिश्रम पर जोर दिया

नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बेदखली के मामलों में किरायेदारों को समन जारी करने में उचित परिश्रम के महत्व पर जोर दिया है। न्यायमूर्ति धर्मेश शर्मा ने कहा कि अगर कोई किरायेदार परिसर से गैरहाजिर रहता है, तो अदालत को प्रकाशन द्वारा समन का सहारा लेने से पहले वैकल्पिक पते पर समन भेजने के लिए गंभीर प्रयास करना चाहिए। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि प्रकाशन द्वारा समन का उपयोग केवल तभी किया जाना चाहिए, जब कार्रवाई का कोई अन्य तरीका संभव न हो।

बेदखली के मामलों के लिए दिल्ली किराया नियंत्रण अधिनियम के अध्याय 3ए के तहत विशेष प्रक्रिया पर ध्यान देते हुए, इसने कहा कि किरायेदार को निर्धारित समय के भीतर बचाव आवेदन दायर करने में सक्षम बनाने के लिए उचित समन सेवा मौलिक है। बेदखली याचिका में मकान मालिक के पक्ष में दिए गए आदेश के खिलाफ एक किरायेदार द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका की सुनवाई के दौरान ये टिप्पणियां की गई। कश्मीरी गेट में एक दुकान किराए पर लेने वाले किरायेदार ने तर्क दिया।
उचित समन सेवा नहीं हुई, और मकान मालिक वैकल्पिक पता प्रदान करने में विफल रहा। विवादित आदेश को रद्द करते हुए अदालत ने कहा कि किरायेदार परिसर में एक नोटिस चिपकाकर और इसे स्थानीय समाचार पत्र में प्रकाशित करके सम्मन जारी किया गया था। हालांकि, किरायेदार के निवास की जानकारी होने के बावजूद मकान मालिक ने वैकल्पिक पता नहीं बताया। अदालत ने उचित परिश्रम की कमी की आलोचना की और मामले को आगे की कार्यवाही के लिए ट्रायल कोर्ट में वापस भेजने का निर्देश दिया और मकान मालिक से किरायेदार को परिसर का कब्ज़ा बहाल करने के लिए कहा।