केंद्र सरकार के नोटिस के बाद यूट्यूब का आया बयान

नई दिल्ली: गूगल के स्वामित्व वाले यूट्यूब ने सोमवार को कहा कि कई जांचों के बाद उसे अपने प्लेटफॉर्म पर किसी भी प्रकार की बाल यौन शोषण सामग्री (सीएसएएम) का पता नहीं चला है। उसने इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को इस संबंध में अपनी औपचारिक प्रतिक्रिया सौंप दी है। मंत्रालय ने पिछले सप्ताह अन्य सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्मों के साथ यूट्यूब को भी अपने प्लेटफॉर्म पर किसी भी सीएसएएम को हटाने के लिए नोटिस दिया था।

यूट्यूब के एक प्रवक्ता ने आईएएनएस को दिए एक बयान में कहा, “कई गहन जांचों के आधार पर हमें अपने प्लेटफॉर्म पर सीएसएएम नहीं मिला, न ही हमें नियामकों से यूट्यूब पर सीएसएएम के उदाहरण या सबूत मिले।” प्रवक्ता ने कहा कि यूट्यूब पर नाबालिगों को खतरे में डालने वाली किसी भी प्रकार की सामग्री की अनुमति नहीं है।

प्रवक्‍ता ने कहा, “हम उन टीमों और प्रौद्योगिकियों में भारी निवेश करना जारी रखेंगे जो इस सामग्री के प्रसार का पता लगाते हैं, हटाते हैं और रोकते हैं। हम सीएसएएम के प्रसार को रोकने के लिए उद्योग-व्यापी लड़ाई में सभी सहयोगियों के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

प्लेटफ़ॉर्म के अनुसार, यूट्यूब पर नाबालिगों को दिखाने वाले अधिकांश वीडियो इसकी नीतियों का उल्लंघन नहीं करते हैं। लेकिन जब बच्चों की बात आती है, तो यूट्यूब “हमारे प्रवर्तन के प्रति अतिरिक्त सतर्क रुख” अपनाता है। यूट्यूब के अनुसार, भारत में “हम सीएसएएम से संबंधित विशिष्ट खोज क्वेरी के लिए खोज परिणामों के शीर्ष पर एक चेतावनी प्रदर्शित करते हैं”।

यह चेतावनी बताती है कि बाल यौन शोषण की तस्वीरें अवैध हैं और राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल से जुड़ी हैं।


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