सामूहिक कल्पवास को लेकर संवरने लगा त्रिवेणी संगम तट

कटिहार: पिपराघाट स्थित कमला बलान और सोनी नदी के त्रिवेणी संगम तट पर  अक्टूबर से  नवंबर तक महीने भर तक साधू संतों और श्रद्धालुओं के कल्पावास को लेकर संगम तट सजने संवरने लगे हैं. अन्य देवी देवता संग भगवान विष्णु राम भक्त हनुमान जहां विराजमान होंगे. वहीं आसपास इलाके और सुदूर क्षेत्र के साधू संत तथा श्रद्धालु आवासन कर विधि-विधान पूर्वक अपने अपने पूर्वजों की मोक्ष हेतु कामना याचना करेंगे. इसके मद्देनजर संगम तट पर बालू की रेत पर भव्य पूजा पंडाल निर्माण हो रहा है.
जगह-जगह पर्याप्त रौशनी और साउंड की व्यवस्था की जा रही है. छोटे छोटे तंबू को बनाया जा रहा है. आवासन करने वाले खाने पीने और जरूरत के मुताबिक सामान लेकर पहुंचने लगे हैं. गत साल की भांति इस साल कमला कार्तिक कल्पावास की शुरूआत शोभा यात्रा से होगी. जो  अक्टूबर (आज) को तट पर नगर भ्रमण करेगी. आयोजन समिति के सदस्यों के मुताबिक पवित्र कल्पावास और खालसा  नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के स्नान के साथ समापन होगा.

कल्पावास का है प्राचीन और आध्यात्मिक महत्व बाल ब्रह्मचारी बाबा रामबालक दास के मुताबिक कल्पवास के दौरान वेदाध्ययन और ध्यान पूजा करना होता है. पौष माह के 11वें दिन से प्रारंभ होकर माघ माह के 12वें दिन तक यह होता है. ऐसी मान्यता है कि मकर राशि में सूर्य के प्रवेश होने से ये शुरू हो जाता है. जो एक कल्प होता है ब्रह्मा के लिए. वह एक दिन के बराबर होता है. वह उतना ही पुण्यदायी और फलदायक होता है. वहीं कल्पवास के लिए संगम तट पर डेरा डाल कर नियम धर्म के साथ भक्त महीना गुजारते हैं. वैसे मकर संक्रांति से भी कल्पवास आरंभ होता है. मान्यता यह भी है कि कल्पवास मनुष्य के लिए आध्यात्मिक विकास का जरिया है. कहते हैं कि कल्पवास करने वाले को जन्म जन्मांतर के बंधनों से मुक्ति मिलती है.

 


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