सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जारी किया नोटिस, राज्यपाल के खिलाफ याचिका पर मांग लिया जवाब

नई दिल्ली: गैरभाजपा शासित राज्यों की सरकारों ने राज्यपालों के रवैये के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था कि राज्यपाल आग में हाथ ना डालें और बिल ना अटकाएं। अब केरल सरकार की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है। केरल सरकार ने कहा था कि राज्यपाल के पास सात महने से लेकर दो साल तक से आठ विधेयक लंबित हैं जिन्हें वह मंजूरी नहीं दे रहे हैं।

शुक्रवार को यह मामला सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पारदीवाला, मनोज मिश्रा की बेंच के सामने रखा गया। केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि राज्यपाल आरिफ मोहम्मद विधानसभा द्वारा पारित बिलों को मंजूरी नहीं दे रहे हैं। इससे जनता के अधिकारों का हनन किया जा रहा है। केरल सरकार का कहना है कि लंबित बिलों में कई जनता के हितों से सीधा जुड़े हुए हैं। संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत उन्हें राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजा गया है।
केरल सरकार की अर्जी में कहा गया है, कुछ बिल दो साल से भी ज्यादा वक्त से राज्यपाल के पास लंबित हैं। राज्यपाल संविधान के मूल सिद्धांत को चुनौती दे रहे हैं। उन्हें एक अच्छी और जनहित की सरकार के काम में सहयोग करना चाहिए लेकिन उनकी वजह से जनहित कामों में बाधा आ रही है। सरकार का कहना है कि लंबे समय से विधेयकों के लंबित होने की वजह से लोगों के साथ अन्याय हो रहा है। सरकार का कहना है कि राज्यपाल का यह रवैया संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है।
बता दें कि राज्यपाल के खिलाफ कोर्ट जाने वालों में तमिलनाडु और पंजाब की सरकार भी शामिल है। तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि के लौटाए गए बिलों को तमिलनाडु सरकार ने विधानसभा में फिर पारित करवा लिया। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के विधेयकों को मंजूरी ना देने को भी गंभीर मामला बताया था और केंद्र से जवाब मांगा। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और तमिलनाडु के गवर्नरों को फटकार लगाते हुए कहा था कि यह बहुत ही गंभीर मामला है और आपलोग आग से खेल रहे हैं। पंजाब सरकार का आरोप है कि राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने विधानसभा में पास हो चुके विधेयकों को अपने पास रोक रखा है।