दौसा लोकसभा की 8 में से एक भी सीट पर टिकट नहीं मिलने से सामान्य वर्ग में पनप रहा आक्रोश

दौसा। विधानसभा चुनाव में दौसा लोकसभा क्षेत्र के 8 विधानसभा क्षेत्रों में से कांग्रेस ने अभी तक एक भी सामान्य वर्ग के प्रत्याशी को मैदान में नहीं उतारा है। दौसा लोकसभा क्षेत्र में 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इनमें बस्सी, चाकसू, थानागाजी, बांदीकुई, महवा, सिकराय, दौसा और लालसोट हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जबकि सार्वजनिक मंचों पर हर वर्ग, जाति के हितार्थ प्रतिबद्ध होने का दम भरते नजर आते हैं।

गहलोत ने जातियों को साधने के लिए दर्जनों बोर्डों का गठन कर ये संदेश देना चाहा “मैं थांसूं दूर कोनी”। कांग्रेस ने अपनी दूसरी सूची भी जारी कर दी है। लेकिन सामान्य सीटों पर भी आरक्षित वर्ग के प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है। इससे कांग्रेस की मंशा साफ होती नजर आ रही है। कांग्रेस सिर्फ जातिगत समीकरणों के आधार पर सत्ता हथियाना चाहती है।
कांग्रेस द्वारा सामान्य सीटों पर आरक्षित वर्ग के प्रत्याशी बनाए जाने से सामान्य वर्ग के लोगों में कांग्रेस से खासी नाराजगी है। बीते कुछ महीनों में सामान्य वर्ग में आने वाली अधिकांश जातियों ने अलग-अलग महाकुंभों का आयोजन कर अपना दमखम भी दिखाया था। सार्वजनिक मंचों से सभी राजनैतिक दलों को खुली चेतावनी देकर सामान्य सीटों पर सामान्य वर्ग के प्रत्याशी को उम्मीदवार बनाने को कहा था। यह भी ऐलान किया था कि समाज उसी राजनीतिक दल का खुलकर समर्थन करेगा जो ज्यादा से ज्यादा सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को टिकट देगा।
कांग्रेस की जारी सूचियों से तो राजनीतिक गलियारों में यहां तक चर्चा है कि माणेसर जाने वाले और माणेसर नहीं जाने वाले आज सत्ता वापसी के लिए एक तो हो गए, लेकिन इस बात की क्या गारंटी है वो पांच साल सत्ता चला पाएंगे? हाल ही में सूची आने से पहले तक जिनके द्वारा एक दूसरे को सोनिया गांधी की अवमानना करने वाला ग्रुप और माणेसर जाने वाला ग्रुप बता रहे थे आज वो क्या एक बार फिर जनता को साधने के लिए एक जाजम पर आ गए हैं यह सोचने का विषय है।
दौसा के सामान्य वर्ग के लोगों में कांग्रेस द्वारा जारी सूची में सामान्य वर्ग की सीटों पर आरक्षित वर्ग के प्रत्याशियों को टिकट देने से खासी नाराजगी है। लोगों में तो यह चर्चा भी आम होने लगी हैं कि गहलोत द्वारा विप्र कल्याण बोर्ड, पुजारी कल्याण बोर्ड आदि जातिगत बोर्डों के गठन महज छलावा मात्र है। विप्र कल्याण बोर्ड के चेयरमैन महेश शर्मा ने कांग्रेस के इस रवैए के चलते इस्तीफा तक सौंप दिया है।
सोशल मीडिया में महेश शर्मा ने इस्तीफे के साथ लिखा है सत्यमेव जयते। कांग्रेस द्वारा सवर्णों को दरकिनार किए जाने का खामियाजा दौसा लोकसभा की 8 विधान सभा सीटों पर उठाना पड़ सकता है। सर्व ब्राह्मण समाज के प्रदेशाध्यक्ष अंबिका प्रकाश पाठक ने कहा कांग्रेस सदैव ही सामान्य की सीटों पर आरक्षित वर्ग को टिकट देकर सामान्य वर्ग के साथ अन्याय करने का कार्य करती आई है। हमने ब्राह्मण महाकुंभ में अपना दमखम दिखाया था और राजानैतिक दलों को खुली चेतावनी दी थी जो पार्टी ब्रह्मणों को सर्वाधिक टिकट देगी उसका खुले दिल से स्वागत करेंगे। लेकिन, कांग्रेस ने सामान्य वर्ग की अनदेखी की है। जिसका खामियाजा विधानसभा चुनावों में ही नहीं लोकसभा चुनावों में भी उठाना पड़ेगा।
सर्व ब्राह्मण समाज कांग्रेस की नीति के विरोध मेंः
सर्व ब्राह्मण महासभा के जिलाध्यक्ष ऋषभ शर्मा ने कहा कांग्रेस ने दौसा लोकसभा की 8 सीटों में से एक भी सीट पर अभी तक किसी सामान्य वर्ग के प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया है, जो कि समान्य वर्ग के लोगों के हितों के साथ कुठाराघात है। कांग्रेस ने सवर्णों को साधने के लिए विप्र कल्याण बोर्ड और पुजारी कल्याण बोर्ड का गठन किया था जो की महज एक छलावा मात्र था।
कांग्रेस यदि वास्तव में सवर्णों की शुभचिंतक होती तो समान्य की सीट पर आरक्षित वर्ग को प्रत्याशी घोषित नहीं करती। हाल ही में कालाखोह में हुई पुजारी की हत्या पर अशोक गहलोत ने एक भी शब्द नहीं बोला है। ऋषभ शर्मा ने यह भी कहा है कांग्रेस द्वारा सवर्णों को नजरंदाज किए जाने के चलते सवर्णों में रोष व्याप्त है। दौसा लोकसभा की आठों विधान सभा सीटों पर कांग्रेस को सबक सिखाया जाएगा।
ब्राह्मण समाज की अनदेखी करना ठीक नहींः
परशुराम सेना महिला वाहनी सेवा समिति की प्रदेशाध्यक्ष उर्मिला जोशी और जिला अध्यक्ष करुणा गौतम ने कहा कांग्रेस ने ब्राह्मण समाज को को अनदेखा किया है, उसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। कालोखोह में हुए पुजारी हत्याकांड पर भी कांग्रेस सरकार ने चुप्पी साध रखी है। परशुराम सेना महिला वाहिनी सेवा समिति कांग्रेस की इस नीति का पुरजोर विरोध करेगी।
राहुल की सोच के मुताबिक युवाओं को ज्यादा मौका देना चाहिए थाः
जनप्रतिनिधि भावना सैनी ने कहाकि पार्टी को समान्य की सीट पर सामान्य को ही प्रत्याशी बनाने के साथ-साथ राहुल गांधी की सोच के अनुसार युवाओं को मौका देना चाहिए था। क्योंकि पार्टी हर जाति, वर्ग और समाज के लोगों से मिलकर बनती है और कार्यकर्ता ही पार्टी की धुरी होते हैं।
ऐसे में पार्टी को टिकट वितरण के समय हर जाति, वर्ग और समाज के प्रत्याशियों को ध्यान में रखते हुए धरातल से जुड़े पार्टी की रीति और नीतियों को आगे बढ़ाने उम्मीदवारों को टिकट देना चाहिए था। पार्टी को सदैव हर जाति, समाज और वर्ग के हितों और सम्मान का खयाल रखना चाहिए।
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