
जैसलमेर: राजस्थान के जैसलमेल जिले की शाहगढ़ सीम पर सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने एक ट्रेंड शिकारी बाज पकड़ा था, जिसकी अब मौत हो गई है। वन विभाग ने बाज के शव का तीन डॉक्टर्स की निगरानी में पोस्टमार्टम कराया। माना जा रहा है कि अरब शहजादों का ये बाज पाकिस्तानी सीमा से उड़कर रास्ता भटककर भारतीय सीमा में प्रवेश कर गया होगा। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि दुर्लभ पक्षी होउबारा बस्टर्ड, जिसे स्थानीय भाषा में तिलोर कहा जाता है, को पकड़ने के लिए अरब देशों के शाही परिवारों के सदस्य जैसलमेर और बीकानेर से लगी सीमा के पार पाकिस्तानी इलाकों में डेरा डाले हुए हैं।

शाही परिवार होउबारा बस्टर्ड पक्षी को पकड़ने के लिए बाज और चील को प्रशिक्षित किया है। यह बाज उन्हीं में से एक है। सूत्रों ने बताया कि शिकार करने वाले बाज पेरिगॉन और लेगर नस्ल के होते हैं। बाज ने बुधवार को भारत में प्रवेश किया था। इसके पखों पर अमेरिकी कंपनी का हाई टेक्निक जीपीएस लगा था जिसे बीएसएफ ने रिकवर करके जांच के लिए एनटीआरओ दिल्ली भेजा है। वहीं बाज के पैरों में लगे छल्लों की भी पड़ताल की जा रही है। छल्लों पर कुछ नंबर्स लिखे हुए हैं। वन विभाग नंबर्स की जांच में जुटा है।
डेजर्ट नेशनल पार्क के डिप्टी कन्जर्वेटर फॉरेस्ट आशीष व्यास ने बताया कि बीएसएफ ने सीमा से जिस बाज को पकड़कर वन विभाग के हवाले किया था उसकी कुछ घंटों बाद ही मौत हो गई। विभाग ने उसे खाना और पानी दिया, मगर उसने कुछ भी नहीं खाया। हो सकता है कि थकान या बीमारी के कारण उसकी प्राकृतिक मौत हो गई। मेडिकल बोर्ड ने उसका पोस्टमार्टम किया है। रिपोर्ट आने के बाद उसकी मौत का असल कारण पता चलेगा।
व्यास ने बताया कि सीमा पर पकड़ा गया बाज पैरागॉन नस्ल का है। इसकी कीमत काफी ज्यादा होती है। इसे ट्रेंड कर शिकार के काम में लिया जाता है। ट्रेंड करने में 15 लाख रुपए क खर्च आता है। सीमा पर पकड़े गए बाजके पंखों पर हाई क्वालिटी वाला जीपीएस लगा हुआ था जिसकी कीमत 50 हजार से एक लाख रुपए के बीच है। इस जीपीएस की लिमिट 150-200 किमी तक होती है। सूत्रों ने बताया कि फॉल्गन प्रजाति के बाज काशी शक्तिशाली होते हैं। ये तेज स्पीड में उड़ते हुए पक्षियों को झपट्टा मारकर घायल कर देते हैं। बाज पर लगे जीपीएस से हैंडलर को सिग्नल मिलते रहते हैं। जिससे हैंडलर घायल हुए पक्षी को रिकवर कर लेते हैं। ये कई दिन भूखे-प्यासे भी रह सकते हैं।