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हिंदू धर्म में अमावस्या को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। मंगलवार को पड़ने वाली अमावस्या को भौमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा इस साल आखिरी अमावस्या 11 दिसंबर को है। विशेष रूप से मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन भगवान हनुमान की पूजा करने से भय, कष्ट और रोग दूर होते हैं और पितृ दोष और मंगल दोष के हानिकारक प्रभाव भी कम होते हैं। तो आइए जानते हैं मार्गशीर्ष अमावस्या का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व के बारे में।
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कब है अमावस्या?
मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि की शुरुआत- 12 दिसंबर 2023, 06:24 ए एम
मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि की समाप्ति- 13 दिसंबर 2023, सुबह 05:01 ए एम
भौमवती अमावस्या शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त- 05:14 ए एम से 06:09 ए एम
प्रातः सन्ध्या- 05:41 ए एम से 07:03 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11:53 ए एम से 12:34 पी एम
विजय मुहूर्त- 01:57 पी एम से 02:39 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 05:22 पी एम से 05:49 पी एम
सायाह्न सन्ध्या- 05:24 पी एम से 06:46 पी एम
अमृत काल- 02:36 ए एम, दिसंबर 13 से 04:09 ए एम, दिसंबर 13
पूजा-विधि
1- स्नान आदि कर मंदिर की साफ सफाई करें
2- हनुमान जी का जलाभिषेक करें
3- अब प्रभु को लाल चंदन और लाल पुष्प अर्पित करें
4- मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें
5- श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें
6- पूरी श्रद्धा के साथ हनुमान जी की आरती करें
7- हनुमान जी को लड्डू का भोग लगाएं
8- अंत में क्षमा प्रार्थना करें
महत्व
भौमवती अमावस्या के दिन दान और स्नान करने का विशेष महत्व माना जाता है। मार्गशीर्ष की अमावस्या पर दान करने से पितृ दोष के दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है। इसके अलावा मार्गशीर्ष अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान जरूर करना चाहिए। वहीं, इस दिन गाय, कौवे और कुत्ते को भोजन कराने से जीवन के कष्ट दूर हो सकते हैं।