धर्म-अध्यात्म

मार्गशीर्ष मास की कालाष्टमी कब, जाने मुहूर्त व महत्व

ज्योतिष न्यूज़ : सनातन धर्म में कई सारे पर्व त्योहार मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन कालभैरव जयंती को बेहद ही खास माना गया है जो कि हर साल अगहन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मनाई जाती है इसे कालाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है।

मान्यता है कि इस पावन दिन पर भगवान शिव के रौद्र रूप कालभैरव की पूजा करने से जीवन में सुख समृद्धि आती है और सभी कष्टों का अंत हो जाता है। इस साल कालाष्टमी का व्रत पूजन 5 दिसंबर दिन मंगलवार यानी कल किया जाएगा। इस दिन भक्त भैरव बाबा की विधिवत पूजा करें और और दिनभर का व्रत आदि भी रखते हैं तो ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा कालाष्टमी पर भगवान भैरव की पूजा का शुभ मुहूर्त बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।

 कालाष्टमी पूजन का शुभ समय—
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वैसे तो भैरव बाबा की साधना अष्टमी तिथि पर निशिता काल यानी रात्रि में 12 बजे की जाती है लेकिन भक्त अपनी सुविधा के अनुसार दिन में भी शुभ मुहूर्त में भगवान काल भैरव की पूजा कर सकते हैं।

आपको बता दें कि भैरव बाबा की पूजा का शुभ मुहूर्त 5 दिसंबर को सुबह 10 बजकर 53 मिनट से दोपहर 12 बजकर 12 मिनट तक मिल रहा है इसके बाद दोपहर का मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 12 मिनट से आरंभ हो रहा है जो कि 1 बजकर 30 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। इसके अलावा शाम का मुहूर्त 7 बजकर 6 मिनट से 8 बजकर 48 मिनट तक मिल रहा है तो वही रात्रि में पूजन का मुहूर्त 10 बजकर 30 मिनट से 12 बजकर 12 मिनट तक प्राप्त हो रहा है जिसे निशित काल मुहूर्त कहा जाता है।

 

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