Religion : 24 दिसंबर को साल का आखिरी प्रदोष व्रत, इस विधि से भगवान शंकर को प्रसन्न करें
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इस समय मार्गशीर्ष मास चल रहा है। मार्गशीर्ष मास का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व होता है। मार्गशीर्ष मास का दूसरा प्रदोष व्रत 24 दिसंबर को है। 24 दिसंबर को रविवार है। रविवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को रवि प्रदोष व्रत कहा जाता है। प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की विधि- विधान से पूजा की जाती है। प्रदोष व्रत में प्रदोष काल के दौरान पूजा का विशेष महत्व होता है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा- अर्चना करने से सभी तरह के दुख- दर्द दूर हो जाते हैं और जीवन सुखमय हो जाता है।।
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रवि प्रदोष व्रत मुहूर्त-
मार्गशीर्ष, शुक्ल त्रयोदशी प्रारम्भ – 06:24 ए एम, दिसम्बर 24
मार्गशीर्ष, शुक्ल त्रयोदशी समाप्त – 05:54 ए एम, दिसम्बर 25
प्रदोष काल- 05:30 पी एम से 08:14 पी एम
प्रदोष व्रत पूजा- विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।
स्नान करने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र पहन लें।
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
अगर संभव है तो व्रत करें।
भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें।
भगवान भोलेनाथ को पुष्प अर्पित करें।
इस दिन भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें। किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
भगवान शिव को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
भगवान शिव की आरती करें।
इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।
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प्रदोष व्रत पूजा- सामग्री-
पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि।