
नई दिल्ली। सनातन धर्म में मकर संक्रांति का त्योहार बहुत खास है और लोग इस त्योहार को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। यह वह दिन है जब सूर्य दक्षिण से उत्तरी गोलार्ध में प्रवेश करता है। यह दिन सूर्य देव की पूजा को समर्पित है।
इसलिए इस अवसर पर सूर्य देव की पूजा करना और उनकी चालीसा का जाप करना बहुत शुभ माना जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी 2024 यानी आज मनाई जाएगी. आज।

सूर्य चालीसा
, दोहा
कनक बोधि कुंडल मकर, मुक्ते माला अन।
शंख चक्र के साथ पद्मासन में ध्यान करें।
॥ चौपाई ॥
जय सविता जय जयति दिवाकर!।सहस्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥
भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!।सविता हंस! सुनूर विभाकर॥
विवस्वान! आदित्य! विकर्तन।मार्तण्ड हरिरूप विरोचन॥
अम्बरमणि! खग! रवि कहलाते।वेद हिरण्यगर्भ कह गाते॥
सहस्रांशु प्रद्योतन, कहिकहि।मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि॥
अरुण सदृश सारथी मनोहर।हांकत हय साता चढ़ि रथ पर॥
उच्चैःश्रवा सदृश हय जोते।देखि पुरन्दर लज्जित होते
पूष वि आदित्य नाम लै।हिरण्यगर्भाय नमः कहिकै॥
द्वादस नाम प्रेम सों गावैं।मस्तक बारह बार नवावैं॥
धन सुत जुत परिवार बढ़तु है।प्रबल मोह को फंद कटतु है॥
अर्क शीश को रक्षा करते।रवि ललाट पर नित्य बिहरते॥
सूर्य नेत्र पर नित्य विराजत।कर्ण देस पर दिनकर छाजत॥
भानु नासिका वासकरहुनित।भास्कर करत सदा मुखको हित॥
ओंठ रहैं पर्जन्य हमारे।रसना बीच तीक्ष्ण बस प्यारे॥
युगल हाथ पर रक्षा कारन।भानुमान उरसर्म सुउदरचन॥
बसत नाभि आदित्य मनोहर।कटिमंह, रहत मन मुदभर॥
जंघा गोपति सविता बासा।गुप्त दिवाकर करत हुलासा॥
सहस्रांशु सर्वांग सम्हारै।रक्षा कवच विचित्र विचारे॥
अस जोजन अपने मन माहीं।भय जगबीच करहुं तेहि नाहीं ॥
मंद सदृश सुत जग में जाके।धर्मराज सम अद्भुत बांके॥
भानु उदय बैसाख गिनावै।ज्येष्ठ इन्द्र आषाढ़ रवि गावै॥
यम भादों आश्विन हिमरेता।कातिक होत दिवाकर नेता॥
॥ दोहा ॥
भनु चालीसा प्रेम युत,गावहिं जे नर नित्य।
सुख सम्पत्ति लहि बिबिध,होंहिं सदा कृतकृत्य॥