
ज्योतिष न्यूज़ : हिंदू धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन संकष्टी चतुर्थी को बेहद ही खास माना जाता है जो कि भगवान श्री गणेश को समर्पित दिन होता है इस दिन भक्त गणपति की विधिवत पूजा करते हैं और दिनभर का व्रत आदि भी रखते हैं माना जाता है कि व्रत को करने से नया साल सुखमय हो जाता है और सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।

पंचांग के अनुसार अखुराि संकष्टी चतुर्थी का व्रत 30 दिसंबर करे किया जाएगा। जो कि साल की आखिरी संकष्टी चतुर्थी होगी। तो ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा अखुरथ संकष्टी चतुर्थी व्रत पूजन से जुड़ी जानकारी से अवगत करा रहे हैं तो आइए जानते हैं।
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी की तारीख और मुहूर्त—
हिंदू पंचांग के अनुसार पौष मास की अखुरथ संकष्टी चतुर्थी व्रत 30 दिसंबर को पड़ रही है इस दिन लोग सूर्योदय के समय से लेकर चंद्रमा उदय होने तक का उपवास करते हैं। यह संकष्टी चतुर्थी व्रत सभी संकट को हरने वाली मानी जाती है। पंचांग के अनुसार पौष माह के कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी तिथि 30 दिसंबर को सुबह 9 बजकर 43 मिनट पर आरंभ हो जाएगी। जो कि अगले दिन संकष्टी चतुर्थी तिथि का समापन 31 दिसंबर को सुबह 11 बजकर 55 मिनट पर हो जाएगा।
पूजन का शुभ मुहूर्त— सुबह 8 बजकर 3 मिनट से सुबह 9 बजकर 30 मिनट तक होगा। वही संध्याकाल पूजन का मुहूर्त शाम को 6 बजकर 14 मिनट से रात्रि 7 बजकर 46 मिनट तक रहेगा।आपको बता दें कि अखुरथ संकष्टी चतुर्थी पर 30 दिसंबर को रात 9 बजकर 10 मिनट पर चंद्रमा उदय होगा। इस दिन चंद्र देव की पूजा करना लाभकारी माना जाता है बिना चंद्र दर्शन व पूजन के व्रत पूर्ण नहीं माना जाता है।
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