
प्रतापगढ़। प्रतापगढ़ गत वर्षों से प्रकृति के साथ छेड़छाड़ का असर दिखने लगा है। इससे कई पेड़-पौधों पर समय से पहले ही फूल खिलने लगे है। जिसमें पलाश के फूल खिलने लगे है। वहीं कुछ आम के पेड़ों पर भी मंजरी दिखने लगी है। जबकि इस मौसम में पहले इस तरह से फूल नहीं खिले है। पर्यावरण पर मंडराते खतरे का बुरा असर प्रकृति पर भी पडऩे लगा है। जनवरी माह को कड़ाके की सर्दी का मौसम माना जाता है। लेकिन इस वर्ष दिसंबर में ही पलाश के पेड़ों पर फूल खिलने लगे है। वहीं कई जगह आम के पेड़ों पर मंजरी भी दिखने लगी है। जो आम तौर पर फरवरी में खिलते है। आम और लीची की बौर भी समय से पहले ही निकल आई है। प्रतापगढ़ के वनों में बहुतायत पाए जाने वाले पलाश पर फूल खिलना लोगों को अनायास भी अपनी ओर आकर्षित कर रहा है।

अमुमन फरवरी-मार्च की गर्मी में पलाश के फूलों से लकदक जंगल जहां अनायास ही पर्यटक को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। वहीं इन फूलों से हर्बल गुलाल और रंग बनाया जाता है। जो होली पर खेला जाता है। जिसे ग्रामीणों की आय भी होती है। गत कुछ वर्षों से पर्यावरण में आए बदलाव के चलते समय से पूर्व खिले पलाश के फूल खिलने लगे है। उद्यान विशेषज्ञ मानते हैं यह पर्यावरण में बदलाव का नतीजा है। मदुरातालाब मौसम में हो रहे परिवर्तन की वजह से कई पेड़ों पर फूल खिलने लगे है। क्षेत्र के जंगल में पलाश के पेड़ पर फूल दिखने लगे है। जिले के जंगल में पलाश के पेड़ों पर फूल दिखने लगे है। इस सम्बंध में पर्यावरणविद् देवेन्द्र मिस्त्री का कहना है कि असमय खिले पलाश के फूलों से स्पष्ट हो गया है कि ग्लोबल वार्मिग के चलते मौसम में बहुत तेजी से परिवर्तन हो रहे हैं। जो कि चिंतनीय है। वहीं मंगल मेहता का कहना है कि पर्यावरण को बचाने के एकजुट होकर ठोस प्रयास करने होंगे। इसका अधिक प्रतिकूल प्रभाव अगले वर्ष दिखेगा।