राजस्थान
सरसों और गेहूं की फसल को लेकर बढ़ी चिंता
मावठ ना होने और शीतलहर के चलने से ग्रामीण अंचल में किसानों को फसलों में नुकसान होने की आशंका

श्रीगंगानगर: भीषण सर्दी के इस दौर ने एक ओर जहां शहरवासियों को कपकंपा रखा है, वहीं मावठ ना होने और शीतलहर के चलने से ग्रामीण अंचल में किसानों को फसलों में नुकसान होने की आशंका से चिंतित है। लगातार पाळा पड़ने के प्रभाव से सरसों के पौधों की पत्तियां और फूल बालियां व फलियां झड़ने लगी है। ब्लॉक में 82530 हेक्टेयर में फसल पर मौसम की मार का संकट छाया हुआ है। इसमें 34680 हेक्टेयर में गेहूं और 47850 हेक्टेयर में सरसों की फसल है।

कृषि पर्यवेक्षक के अनुसार इन दिनों किसानों को सतर्क रहकर फसलों की सुरक्षा और बचाव के उपाय करने चाहिए। पाळा पड़ने के लक्षण सबसे पहले आक और वनस्पतियों पर दिखाई देते हैं। सुबह के समय पाले का पौधों पर असर देखा जा सकता है। वहीं दूसरी ओर गेहूं में पीलापन आने से बढ़वार प्रभावित हो रही है। सरसों के अलावा कई उद्यानिकी फसलों पर भी पाले का सर्वाधिक असर पड़ता है। जबकि बूंदाबांदी हो तो वह फसलों के लिए वरदान साबित होती है।