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Weather Update : बढ़ रहे प्रदूषण ने मौसम के मिजाज को ही बदला मौसम

Weather Update : वायुमंडल में बढ़ रहे प्रदूषण ने मौसम के मिजाज को ही बदल दिया है। वाहनों के जहरीले धुएं, ब्लैक कार्बन और निर्माण कार्यों के चलते उड़ रही धूल के कण जहां लोगों को बीमार बना रहे हैं, वहीं विशेषज्ञों का दावा है कि प्रदूषण के चलते मौसम चक्र भी बदलता जा रहा है। यही वजह है कि दिसंबर में भी उतनी ठंड नहीं लग रही, जितनी होनी चाहिए। आम लोग ही नहीं, मौसम के बदले मिजाज से विशेषज्ञ भी हैरान हैं।

दिसंबर के अंत का समय ठंड का मौसम होता है, लेकिन इस समय भी मौसम शुष्क बना हुआ है। दिन में तो धूप में गर्मी लग रही है। शाम या रात को भी ठिठुरन जैसी स्थिति तो अभी नहीं हुई है। अधिकतम व न्यूनतम तापमान सामान्य से ऊपर बना हुआ है। सोमवार को दिन में अधिकतम तापमान 25.8 डिग्री सेल्सियस रहा जो सामान्य से चार डिग्री सेल्सियस अधिक है। वहीं न्यूनतम तापमान 11.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, वह भी सामान्य से दो डिग्री सेल्सियस अधिक है।

पर्यावरणविदों के अनुसार, स्थानीय मौसम पर व्यापक स्तर पर ग्लोबल वार्मिंग और स्थानीय कारणों का प्रभाव होता है। व्यापक स्तर पर होने वाले बदलाव वायु की गति, दिशा, वर्षा, नमी और समुद्री स्थितियों आदि को भी प्रभावित करता है। स्थानीय हरित क्षेत्र, ताल-तलैये, वन आदि भी स्थानीय मौसम में अपना योगदान देते हैं।

वर्तमान दिनों में घटती आर्द्रता और तापमान के कारण धूल व प्रदूषण के कणों की एक परत क्षेत्र के ऊपर जमा हो जाती है। इससे तापमान उसके नीचे ही बना रहता है और वायु की सघनता के कारण तापमान थोड़ा अधिक हो जाता है। वहीं बढ़ती जनसंख्या की डिमांड को पूरा करने के लिए कोयला, डीजल और पेट्रोल की खपत बढ़ी है। इससे निकलने वाली गैस, धुआं में कार्बन कण समेटे है। ऊपर से सूरज की किरण से कार्बन के कण को अवशोषित करने से तापमान बढ़ रहा है।

इसके अलावा विकास को लेकर हो रहे निर्माण कार्य, बढ़ती वाहनों की संख्या और कम होती हरियाली के चलते लगातार प्रदूषण बढ़ने से उसका असर प्राकृतिक चक्र पर पड़ रहा है। इसके चलते सर्दी के दिनों की अवधि कम हो गई है। सामान्यत: दिसंबर मध्य से ठंड अपना असर दिखाना शुरू कर देती है, लेकिन इस बार शुष्क मौसम पसीना छुड़ा रहा है।

विकास की भेंट चढ़े 20 हजार से अधिक पेड़
गोरखपुर व आसपास के इलाकों में पिछले कुछ वर्षों में फोरलेन का निर्माण कार्य खूब हो रहा है। इसके चलते करीब 20 हजार से अधिक पेड़ काट दिए गए हैं। पौधरोपण तो किया जाता है, पर कितने पौधे बच पाते हैं, यह कहना मुश्किल है। इसका सीधा असर पर्यावरण पर पड़ रहा है। वन विभाग के अनुसार, वर्ष 2018 में गोरखपुर-बड़हलगंज मार्ग पर 10448 पेड़ काट दिए गए। गोरखपुर-सोनौली मार्ग पर 1181 पेड़, गोरखपुर-महराजगंज मार्ग पर 8392 पेड़, गोरखपुर-देवरिया मार्ग पर 3140 पेड़, शहर के मोहद्दीपुर से लेकर जंगल कौड़िया तक 1,507 पेड़ों काे काटा गया है।

ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में हो रही बढ़ोतरी
डीडीयू के बॉटनी विभाग के अध्यक्ष प्रो. अनिल कुमार द्विवेदी ने कहा कि वर्तमान में वाहनों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि, चौड़ी सड़कों का निर्माण, शहरीकरण के फैलाव से वृक्षों की संख्या में लगातार गिरावट के कारण वायुमंडल का तापमान अपेक्षा से अधिक गर्म है। हरियाली कम होने और प्रदूषण बढ़ने से उसका असर मौसम के चक्रानुक्रम पर भी पड़ा है। वैश्विक स्तर पर ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में लगातार बढ़ोतरी से हो रही ग्लोबल वार्मिंग भी अपेक्षाकृत अधिक तापमान के लिए उत्तरदायी है।

हरियाली कम होने से मौसम में आया है असंतुलन
बेलीपार कृषि विज्ञान केंद्र के मौसम वैज्ञानिक डॉ. सतीश कुमार सिंह ने बताया कि प्रदूषण का स्तर बढ़ने और हरियाली कम होने से उसका सीधा असर मौसम के चक्रानुक्रम पर पड़ रहा है। वातावरण में असंतुलन बना हुआ है। इसके लिए सभी को हरियाली बढ़ाने पर जोर देना होगा। मौसम शुष्क बना रहने से गेहूं की फसल पर असर पड़ रहा है।

 

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