
देहरादून: भूस्खलन उत्तराखंड की मुख्य आपदा है, जिससे उत्तराखंडवासी आए दिन जूझते रहते हैं। यह राज्य के विकास में भी बाधा बनती है। यह ठीक वैसा ही अनुभव है, जैसे जापान में भूकंप। मगर, जापान ने ऐसा आपदा मॉडल तैयार किया, जिससे न सिर्फ भूकंप के प्रभावों से निपटा जा रहा है, बल्कि जापान के लोगों में भूकंप का डर भी जाने लगा है। अब उत्तराखंड भी जापान की तर्ज पर भूस्खलन से निपटेगा। इसके लिए विश्वस्तरीय प्लान तैयार भी कर लिया है।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र की स्थापना करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। यह केंद्र भूस्खलन अध्ययन, पूर्व सूचना प्रणाली, भूस्खलन प्रबंधन व वैज्ञानिक मानकों का निर्धारण व अनुपालन में निर्णायक भूमिका निभाएगा। यह केंद्र आतंरिक अध्ययन के आधार पर भूस्खलन की पूर्व सूचना देगा। अध्ययन के आधार पर प्राप्त संवेदनशील क्षेत्रों में भूस्खलन प्रबंधन व न्यूनीकरण के उपाय भी किये जाएंगे। यहां के वैज्ञानिक अन्य देशों व वैश्विक संस्थाओं के साथ तकनीक व शोध-डाटा को एक-दूसरे के साथ साझा कर सकेंगे। इसके लिए एफआरआई के साथ मिलकर ऐसे पौधे व वनस्पति की प्रजातियां विकसित की जाएंगी, जो भूस्खलन रोकने में सक्षम होंगे। यह मॉडल भूस्खलन की घटनाओं को कम करने पर जोर देगा, साथ ही भूस्खलन से होने वाले नुकसान को भी कम करेगा। इस केंद्र में भूस्खलन शिक्षा व शोध संस्थानों से जुड़े छात्र इंटर्नशिप भी कर सकेंगे। इस मॉडल को धरातल पर उतारने को कवायद भी शुरू हो चुकी है। अगले 5 वर्षों में इस केंद्र की स्थापना हो जायेगी।
बता दें कि उत्तराखंड भूकंप व भूस्खलन की दृष्टि से बेहद संवेदनशील राज्य है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने उत्तराखंड के 5 जिलों को जोन-5 यानी सबसे संवेदनशील जिलों में शामिल किया है। बीते महीनों देहरादून में हुए छठवें राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन सम्मेलन में देश-विदेश के वैज्ञानिकों ने भी हिमालयी राज्यों को आपदा की दृष्टि से संवेदनशील बताया था। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड को आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में आदर्श राज्य बनाने का संकल्प लिया है। जाहिर है कि सीएम धामी का यह ऐतिहासिक कदम राज्य को भूस्खलन से निपटने के लिए सक्षम बनायेगा।