
दिल्ली। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सियासी हाल पर बात करते हुए रामायण का जिक्र कर दिया। उन्होंने भगवान हनुमान को बड़ा राजनयिक बताया है। साथ ही भगवान राम की वानर सेना को भी गठबंधन का उदाहरण बताया है। विदेश मंत्री का कहना है कि हमें बातचीत के दौरान अपने धर्मग्रंथों के संदर्भों का इस्तेमाल करना चाहिए।

जयशंकर ने रामायण के उस हिस्से का जिक्र किया, जिसमें बताया गया है कि भगवान हनुमान सीता जी की खोज में लंका पहुंचे थे। एनडीटीवी से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, ‘हनुमान बड़े राजनयिक थे। एक वास्तविक राजनयिक थे, क्योंकि उन्हें दूत की तौर पर लंका भेजा गया था।’ उन्होंने बताया कि कैसे हनुमान ने लंका में कूटनीतिक रणनीति का इस्तेमाल किया था।
उन्होंने कहा, ‘हनुमान को खुफिया मिशन भी पूरा करना था। उन्होंने सीता पर जानकारी जुटानी थी। वह एक एक्टिविस्ट डिप्लोमेट भी थे, क्योंकि बाहर निकलने के दौरान उन्होंने लंका को बड़ी चोट भी पहुंचाई थी।’ उन्होंने कहा, ‘वह राजा और उनके मंत्रियों के मुकाबले और ज्यादा ऊंची कुर्सी पर बैठे जिसके चलते दरबार में मौजूद लोगों पर मनोवैज्ञानिक असर पड़ा।’
विदेश मंत्री ने कहा, ‘अगर वानर सेना गठबंधन नहीं था, तो और क्या था?’ उन्होंने कहा, ‘हमें हमारे धर्मग्रंथों को आत्मसात करने और बातचीत के दौरान उनके संदर्भों को इस्तेमाल करना चाहिए। पश्चिम में लोग इलियाड और ओडेसी का संदर्भ देते हैं।’ खास बात है कि जयशंकर की नई किताब ‘Why Bharat Matters’ में रामायण और महाभारत पर एक चैप्टर भी है।