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मंदिरों को मुख्य धारा में नहीं ला सकते: सैम पित्रोदा

सैम पित्रोदा ने कहा, लोगों को तय करना होगा, तानाशाह चाहिए या फिर लोकसेवक

दिल्ली: तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में करारी हार के बाद कांग्रेस लोकसभा चुनावों को लेकर सतर्क हो गई है। इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और इंडिन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा का कहना है कि मुझे उम्मीद है कि भारत के लोग अब प्रतिक्रिया देंगे। मुझे उम्मीद है कि 2024 का चुनाव भारत के भविष्य के लिए अहम है।

उन्होंने कहा कि भारतीयों को अब तय करना है कि वह कैसा राष्ट्र बनाना चाहते हैं। क्या उन्हें हिंदू राष्ट्र चाहिए या फिर समावेशी और स्थिर धर्मनिर्पेक्ष देश चाहिए। लोगों को तय करना होगा कि उन्हें तानाशाह चाहिए या फिर लोकसेवक। लोगों को अब तय करना होगा कि उन्हें धर्म के आधार पर बंटवारा चाहिए या एक लोकसेवक, जो सभी को साथ लेकर चले। क्या लोगों को डर फैलाने वाली सरकार चाहिए या फिर सुरक्षा प्रदान करने वाली सरकार, यह उन्हें ही तय करना होगा। 2024 का चुनाव देश के भविष्य के लिए होने जा रहा है न कि किसी व्यक्ति विशेष के भविष्य के बारे में। ईवीएम के मुद्दे पर पित्रोदा का कहना है कि यह मुद्दा बहुत गंभीर है।

भारत और भारत सरकार की अलोचना में अंतर
राहुल गांधी द्वारा विदेशी जमीन पर देश के खिलाफ दिए गए बयानों और उस पर भाजपा के हमले के सवाल पर पित्रोदा का कहना है कि हम विदेश में भारत की आलोचना नहीं करते। हम भारत सरकार की आलोचना करते हैं। यह दोनों अलग-अलग चीजें हैं। भारत सरकार की आलोचना और भारत की आलोचना में भ्रमित नहीं होना चाहिए। भारत बहुत बड़ा है। भारत सबसे महत्वपूर्ण है। भारत लोकतांत्रिक देश हैं। हम भारत के बारे में चर्चा कर सकते हैं। भारत विश्व का भाग्य तय करता है। भारत सबसे अधिक आबादी वाला देश है, हमें इसलिए दुनिया में अपने बारे में बात करना होगा। हमें वैश्विक नेताओं से मिलना चाहिए और समझाना चाहिए कि हम कौन हैं। हम क्या हैं। हम किसमें विश्वास करते हैं। कोई भी व्यक्ति भारत का अपमान कर ही नहीं सकता। राहुल गांधी विदेश दौरे पर छात्रों, बुद्धिजीवियों, राजनेताओं और व्यापारिक नेताओं के साथ खुली बातचीत करते हैं। यह करना हमारा काम है। हम एक ऐसा राष्ट्र हैं, जो दुनिया के लिए मायने रखता हैं।

मंदिरों को मुख्य धारा में नहीं ला सकते  
राम मंदिर पर पित्रोदा ने कहा कि मुझे किसी भी धर्म से कोई दिक्कत नहीं है। कभी-कभार मंदिर के दर्शन करने के लिए जाना ठीक है। लेकिन आप उसे मुख्य धारा में नहीं ला सकते। 40 फीसदी लोग बीजेपी को वोट देते हैं। 60 फीसदी लोग बीजेपी को वोट नहीं देते। प्रधानमंत्री को मंदिरों के अलावा, रोजगार, महंगाई, विज्ञान, प्रौद्योगिकी के बारे में बात करना होगा। उन्हें तय करना होगा कि असली मुद्दे क्या हैं- क्या राम मंदिर या बेरोजगारी। राममंदिर या महंगाई। राम मंदिर या दिल्ली में वायु प्रदूषण।


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