रास्ता रोककर गाली गलौज: कारोबारी पहुंचे हाईकोर्ट, शिकायत के बाद एक्शन

शिमला: हिमाचल प्रदेश के डीजीपी और पालमपुर के व्यवसायी विवाद मामले में हिमाचल हाईकोर्ट के आदेश के बाद कांगड़ा पुलिस ने गुरुवार को दो अज्ञात लोगों के खिलाफ मैक्लोडगंज पुलिस थाना में एफआईआर दर्ज कर ली है। पुलिस ने कारोबारी की शिकायत पर दो अज्ञात लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 341, 504 और 506 के तहत मामला दर्ज किया है। इन धाराओं के तहत रास्ता रोकना, गाली गलौज करना और धमकाना शामिल है।

दरअसल, इस मामले में शिकायतकर्ता व्यवसायी निशांत शर्मा ने दो मोटर साईकल सवार लोगों के खिलाफ कांगड़ा पुलिस को मेल के माध्यम से शिकायत दर्ज की थी। शिकायत में उन्होंने बताया था कि बीते दिनों मैक्लोडगंज पुलिस थाना के तहत मैक्लोडगंज भागसूनाग सड़क पर जब कारोबारी अपने परिवारजनों के साथ जा रहे थे तो बिना नंबर के बाइक में सवार दो अज्ञात लोगों ने उनका रास्ता रोककर उनके साथ गाली गलौज किया तथा उन्हें गुड़गांव में की गई शिकायत को वापिस लेने के लिए धमकाया और जान से मारने की धमकी भी दी थी।

एसपी कांगड़ा शालिनी अग्निहोत्री ने बताया कि दो अज्ञात लोगों के खिलाफ मैक्लोडगंज पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। कारोबारी की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई है। मामले की जांच की जा रही है।

बता दें कि हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कांगड़ा के पुलिस अधीक्षक को पालमपुर के व्यवसायी निशांत शर्मा की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है। व्यवसायी निशांत शर्मा ने अपने जीवन, परिवार के सदस्यों और संपत्ति को खतरे का आरोप लगाया था। हाईकोर्ट ने पुलिस से शिकायतकर्ता को सुरक्षा प्रदान करने के लिए भी कहा।

यह मामला गुरुवार को अदालत में सुनवाई के लिए आया और महाधिवक्ता अनूप रतन ने आश्वासन दिया कि निशांत शर्मा की शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की जाएगी। हाईकोर्ट ने वरिष्ठ वकील नीरज गुप्ता को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया है। सुनवाई के दौरान कांगड़ा और शिमला पुलिस ने मामले से जुड़ी स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल की। इस मामले की अगली स्टेटस रिपोर्ट 22 नवम्बर को दाखिल की जाएगी।

मामले के अनुसार व्यवसायी निशांत शर्मा ने शिमला के एसपी को दी अपनी शिकायत में उन्हें व उनके परिवार के सदस्यों को कुछ लोगों से खतरा होने का आरोप लगाया था और अगस्त माह में गुरुग्राम में उन पर दो प्रभावशाली लोगों द्वारा किए गए हमले की एक घटना का हवाला दिया था। निशांत शर्मा के मुताबिक हमले के बाद वह कांगड़ा जिले के पालमपुर आया लेकिन डीजीपी ने उन्हें अपने आधिकारिक नंबर से फोन किया और मुझे शिमला आने के लिए मजबूर किया और उसी दिन दो अपराधियों ने उसे धर्मशाला के मैक्लोडगंज में रोका और उसे पत्नी व बच्चे सहित नुकसान पहुंचाने की धमकी दी।

उन्होंने आरोप लगाया कि वह धर्मशाला में कांगड़ा के पुलिस अधीक्षक के घर गया और उन्हें अपनी शिकायत दी लेकिन अभी तक कुछ नहीं किया गया है।

खास बात यह है कि व्यवसायी निशांत शर्मा के खिलाफ डीजीपी ने 4 नवंबर को छोटा शिमला थाने में एफआईआर दर्ज करवाई थी। निशांत शर्मा के खिलाफ आईपीसी की धारा 211, 469, 499, 500 और 505 के तहत मामला दर्ज है।

दरअसल निशांत शर्मा ने आरोप लगाया है कि उसे पुलिस मुख्यालय से बार-बार फोन किया जा रहा था और डीजीपी उसे शिमला मिलने के लिए बुला रहे थे। निशांत शर्मा के अनुसार उसने मेल के माध्यम से डीजीपी से जानना चाहा कि उसे शिमला क्यों बुलाया जा रहा है। इस मेल के बाद डीजीपी संजय कुंडू ने निशांत शर्मा पर छोटा शिमला थाने में एफआईआर दर्ज करवा दी। डीजीपी ने एफआईआर में कहा कि निशांत शर्मा ने उनकी छवि को खराब करने की नीयत से मनगढ़ंत आरोप लगाए हैं और उनकी छवि को बिगाड़ने का प्रयास किया है।

अपनी शिकायत में, डीजीपी ने कहा था कि निशांत शर्मा ने 29 अक्टूबर को उनकी आधिकारिक आईडी पर अन्य अधिकारियों को प्रतियों के साथ एक ईमेल भेजा था जिसमें उन्होंने उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने और उनकी छवि खराब करने के इरादे से “झूठे आरोप” लगाए थे।

 


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