
झारखंड। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की झारखंड इकाई ने रविवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा। उन्होंने धनबाद में एक डॉक्टर दंपति से एक करोड़ रुपये की रंगदारी मांगने वालों की गिरफ्तारी की मांग की। वहीं, झारखंड में धर्मांतरित आदिवासियों को एसटी आरक्षण की सूची से बाहर करने का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है। हजारों आदिवासियों ने रांची के मोरहाबादी मैदान में रविवार को एक रैली निकाली।
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धनबाद में बढ़ते अपराधों से आम लोग बेहद परेशान
दरअसल, धनबाद में बढ़ते अपराधों से आम लोग बेहद परेशान हैं। इस दौरान गैंगस्टर प्रिंस खान के नाम से धनबाद के प्रसिद्ध स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सर्वमंगला प्रसाद से एक करोड़ की रंगदारी मांग की गई है। साथ ही नहीं देने पर गोली मारने की धमकी दी गई है।
आईएमए के प्रदेश अध्यक्ष डॉ एके सिंह और सचिव डॉ प्रदीप कुमार सिंह ने कहा कि अपराधियों ने डॉ सर्वमंगला प्रसाद और उनके पति डॉ हरदेव प्रसाद से राशि की मांग की और भुगतान नहीं करने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी।
उन्होंने कहा, ‘धनबाद में डॉक्टर डरे हुए हैं। हम आपसे जल्द से जल्द इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह करते हैं। तुरंत कार्रवाई कर अपराधियों को सजा दी जाए ताकि निजी स्वास्थ्य सेवाएं बाधित न हों।’
पहले भी कई मामले आए
आईएमए सचिव ने आरोप लगाया कि राज्य में डॉक्टरों, उद्योगपतियों और व्यापारियों को जबरन वसूली की धमकी आम हो गई है। उन्होंने कहा कि पिछले साल धनबाद के एक वरिष्ठ सर्जन जबरन वसूली की धमकियों के कारण कानपुर चले गए थे। यहां बैंक मोड़ बाजार में एक व्यापारी को उसकी दुकान में गोली मार दी गई।
उन्होंने डॉक्टरों के लिए सुरक्षा और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है ताकि डॉक्टर निडर होकर काम कर सकें। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो डॉक्टरों को अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाना पड़ेगा।
आईएमए की धनबाद शाखा ने पहले ही 30 दिसंबर से कोयला बेल्ट में निजी स्वास्थ्य केंद्रों की अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की है।
आज रांची में निकाली महा रैली
झारखंड में धर्मांतरित आदिवासियों को एसटी आरक्षण की सूची से बाहर करने का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है। हजारों आदिवासियों ने रांची के मोरहाबादी मैदान में रविवार को एक रैली निकाली।
आरएसएस समर्थित वनवासी कल्याण केंद्र से संबद्ध जनजाति सुरक्षा मंच (जेएसएम) ने क्रिसमस से एक दिन पहले उलगुलान आदिवासी उलगुलान महा रैली निकाली। इसमें पारंपरिक पोशाक पहने और धनुष, तीर, तलवार व दरांती जैसे हथियार लहराते हुए राज्य के विभिन्न हिस्सों से आए आदिवासियों ने हिस्सा लिया।
रैली में पद्म विभूषण से सम्मानित पूर्व केंद्रीय मंत्री करिया मुंडा, भाजपा के लोकसभा सांसद सुदर्शन भगत और राज्यसभा सदस्य समीर ओरांव, जेएसएम के राष्ट्रीय संयोजक गणेश राम भगत और कई अन्य लोग मौजूद थे।
सुदर्शन भगत ने कहा कि रैली का मुख्य उद्देश्य उन आदिवासियों को सूची से बाहर करने की मांग करना था, जिन्होंने दूसरे धर्म अपना लिए हैं। इन लोगों को अनुसूचित जनजातियों को दिए जाने वाले आरक्षण के लाभों से वंचित किया जाना चाहिए। इन्हें उन लोगों से लाभ लेने का कोई अधिकार नहीं है जो असली आदिवासी हैं।
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोग…
समीर ओरांव ने कहा कि आदिवासियों को उनकी संस्कृति, आस्था और परंपरा की रक्षा करते हुए विकास के लिए सशक्त बनाने के लिए कई लाभ दिए गए। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोग अपनी संस्कृति, आस्था और परंपरा को छोड़कर ईसाई या मुस्लिम बन गए हैं। ऐसे लोग आबादी का केवल 20 प्रतिशत होंगे, लेकिन मूल आदिवासियों से 80 प्रतिशत लाभ छीन रहे हैं। यह गलत है। इन लोगों को इसका लाभ नहीं दिया जाना चाहिए।
इसने किया विरोध
इससे पहले, नागरिक अधिकार संगठन झारखंड जनाधिकार महासभा (जेजेएम) ने आरोप लगाया था कि धर्म के नाम पर आदिवासियों के बीच सांप्रदायिकता फैलाने के प्रयास में क्रिसमस से एक दिन पहले रैली का आयोजन किया जा रहा है। जेजेएम ने 23 दिसंबर को मुख्य सचिव और रांची पुलिस प्रशासन को पत्र लिखकर कार्यक्रम के दौरान नफरत फैलाने वाला भाषण देने पर कड़ी निगरानी रखने और कानूनी कार्रवाई करने को कहा था।
आज ही हुई थी उलगुलान की शुरुआत
जेएसएम के सदस्यों का कहना था कि उन्होंने रैली के लिए 24 दिसंबर का दिन इसलिए चुना था क्योंकि बिरसा मुंडा ने 1899 में इसी दिन उलगुलान की शुरुआत की थी। जनजाति सुरक्षा मंच ने कहा कि वह इस मुद्दे पर लोगों को जागरूक करने के लिए इस तरह की रैलियां आयोजित कर रहा है। संगठन ने पिछले साल 27 नवंबर को रांची में इसी तरह की डीलिस्टिंग रैली निकाली थी।
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