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आयुष्मान योजना की 218 करोड़ की देनदारियां लंबित: धनीराम शांडिल

तपोवन। प्रदेश में आयुष्मान और हिमकेयर कार्ड योजना के तहत स्वास्थ्य विभाग की 218.34 करोड़ रुपए की देनदारियां लंबित है। इसमें आयुष्मान की 28.02 करोड़ रुपए और मुख्यमंत्री हिमकेयर की 190.32 करोड़ रुपए की देनदारी है। यह जानकारी स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल ने सुलह के विधायक विपिन सिंह परमार और रणधीर शर्मा के संयुक्त सवाल के जवाब में दी। उन्होंने कहा कि दिसम्बर, 2022 से 15 जनवरी, 2023 तक सरकार दोनों योजनाओं पर 430.56 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है। इसमें आयुष्मान भारत योजना के तहत 79.12 करोड़ रुपए और मुख्यमंत्री हिमकेयर योजना के तहत 351.44 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। मंत्री ने बताया कि वित्त वर्ष 2023-24 में हिमकेयर और सहारा योजना के लिए 149 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं जबकि योजना के लिए 111.86 करोड़ का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष 15 नवम्बर तक हिमकेयर योजना के तहत 78 हजार 365 नए कार्ड बने और 30 हजार 199 लाभार्थी सहारा योजना के तहत वित्तीय सहायता के लिए पंजीकृत किए गए हैं। मंत्री ने बताया कि पिछले 3 वर्षों के भीतर इस योजना पर उपचार के लिए 811.25 करोड़ का बजट खर्च किया जा चुका है। योजना के तहत हिमाचल के 287 अस्पतालों में प्रधानमंत्री जनआरोग्य योजना और 278 अस्पतालों में मुख्यमंत्री हिमकेयर योजना के तहत मरीजों को उपचार की सुविधा का लाभ दिया जा रहा है।

जिला कांगड़ा में पिछले 3 वर्षों में 2 करोड़ 4 लाख रुपए से ज्यादा की धनराशि खर्च की गई है। इसमें कांगड़ा एयरपोर्ट के विस्तारिकण पर 88 लाख 79 हजार रुपए खर्च किए गए हैं। पालमपुर में टॉय ट्रेन के निर्माण कार्य पर 65 लाख रुपए खर्च, इसके अलावा 10 अलग-अलग प्रोजेक्ट कार्यों पर ये पैसा खर्च किया गया है। ये जानकारी मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने होशियार सिंह के सवाल के जवाब में दी। उन्होंने कहा कि इस साल राज्य सरकार कांगड़ा जिला में 10 अलग-अलग प्रोजैक्ट काम कर रहेी है। जिसमें गोल्फ कोर्स का निर्माण, सम्मेलन कक्ष, वैलनैस सैंटर, आईस स्केटिंग, ग्रीन पार्क, टूरिज्म गांव नगरोटा समेत अन्य कई प्रोजैक्ट कार्य शामिल हैं। प्रदेश में बरसात के दौरान आई प्राकृतिक आपदा के दौरान पूरी तरह ढह गए 51 स्कूलों को दोबारा से बनाया जाएगा। यह बात शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने नाचन के विधायक विनोद कुमार द्वारा पूछे गए प्रश्न के जवाब में विधानसभा में कही। उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि प्राकृतिक आपदा के दौरान पूरी तरह ढह गए 51 स्कूलों को जल्द बनाया जाएगा। इसके अलावा जिन स्कूलों को आंशिक रूप से नुक्सान हुआ है उनको भी अगले वित्त वर्ष में उनकी मुरम्मत का कार्य करवा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि स्कूलों को ठीक करवाने के लिए बजट का प्रावधान किया जा रहा है तथा जल्द ही आपदा में ढहे स्कूलों व आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए स्कूलों को ठीक करवा दिया जाएगा ताकि बच्चों को किसी प्रकार असुविधा न हो। इसके अलावा स्कूलों की जांच भी करवाई जाएगी की उसमें बच्चें सुरक्षित रहे। इस दौरान नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि ऐसे स्कूल भी है जो आपदा में पूर्ण रूप से प्रभावित हुए है तथा ऐसे स्कूलों के बच्चों की स्कूलों में बैठने की व्यवस्था करवाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि कुछ स्थान ऐसे है जहां बच्चों को बैठाया जा रहा है जिससे बच्चों को खतरा है।

प्रदेश में बरसात में आई प्राकृितक आपदा के दौरान प्रदेश में बहुत नुक्सान हुआ है और सैंकड़ों लोग बेघर हो गए। आपदा में भूमिहीन हुए लोग सरकार से 5 मरला भूमि की मांग कर रहे हैं। आपदा के बाद अब तक प्रदेश में आपदा प्रभावित 83 लोग भूमि के लिए आवेदन कर चुके हैं। इसमें 11 आवेदनों के स्वीकृति मिल चुकी है एवं उन्हें भूमि आबंटित हो चुकी है जबकि 72 आवेदन अभी लंबित हैं। जानकारी के मुताबिक आपदा प्रभावित लोगों में भूमि के लिए आवेदन करने वालों में सबसे अधिक जिला ऊना से आए हैं। ऊना में 35 लोगों ने आवेदन किया है और ये आवेदन अभी लंबित हैं। इसी तरह बिलासपुर में 29 आवेदन लंबित हैं। लाहौल-स्पीति और शिमला में 7-7 अभी लंबित है। स्वीकृत हुए आवेदनों में मंडी जिला के सभी 6 और हमीरपुर से 5 लोगों को जमीन दे दी गई है। सदन में राजस्व मंत्री ने विधायक जीत राम कटवाल के प्रश्न के जवाब में बताया कि आपदा प्रभावित लोगों के अलावा भूमि के लिए सामान्य तौर पर आए 752 आवेदन लंबित हैं। इनमें बिलासपुर जिला में 39, चम्बा में 42, कांगड़ा में 5, किन्नौर में 14, कुल्लू में 36, मंडी में 217, शिमला में 12, सोलन में 114 और जिला ऊना में 753 आवेदन अभी लंबित हैं। प्रदेश सरकार द्वारा एमडी व एमएस के दाखिले के लिए राज्य कोटे की सीटों में 40 प्रतिशत अंकों के आरक्षण रोस्टर की पालना की जा रही है। यह बात ऊना के विधायक सतपाल सत्ती के द्वारा पूछे गए तारांकित प्रश्न के जवाब में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दी। उन्होने कहा कि एमडी व एमएस के लिए अनुसूचित जाति को 15 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति को 7.5 प्रतिशत एवं ईडब्ल्यूएस को 10 प्रतिशत आरक्षण राज्य कोटे में दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग के अंतर्गत वर्तमान में अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी के लिए पाठ्यक्रमों में किसी आरक्षण का प्रावधान नहीं है।


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