
नई दिल्ली: डीडीए के एक वरिष्ठ अधिकारी अदालत के आदेश की अवमानना में फंस गए हैं। अदालत ने एक विवादित जमीन पर अधिग्रहण और ध्वस्तीकरण करने पर रोक लगा दी थी। इसके बावजूद डीडीए ने उस जमीन पर बनी इमारत को ध्वस्त कर अधिग्रहण कर लिया था। अब कोर्ट ने इस मामले में डीडीए के भूमि एवं प्रबंधन आयुक्त की गिरफ्तारी के आदेश दिए हैं।
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द्वारका स्थित अतिरिक्त जिला न्यायाधीश अमन प्रताप सिंह ने डीडीए अधिकारी द्वारा अदालत के आदेश की अवमानना के मद्देनजर दक्षिण-पूर्व के जिला पुलिस आयुक्त को निर्देश दिए हैं कि वह भूमि और प्रबंधन आयुक्त को 9 फरवरी या उससे पहले गिरफ्तार कर अदालत में पेश करें। साथ ही, संबंधित अधिकारी को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए।
याचिकाकर्ता करमवीर सोलंकी ने अधिवक्ता राजेश कौशिक के माध्यम से डीडीए के खिलाफ दीवानी मुकदमा दायर किया था। याचिकाकर्ता का कहना था कि उनकी नसीरपुर गांव में एक हजार गज पैतृक जमीन है। वर्ष 1993 में पटवारी ने फर्जी शिकायत कर कहा कि उसकी जमीन से लगी खसरा नंबर 393 पर याचिकाकर्ता ने कब्जा कर लिया। इस बाबत याचिकाकर्ता ने निचली अदालत में संबंधित दस्तावेज भी लगाए हुए हैं। यह मामला दीवानी अदालत में लंबित है।
अतिरिक्त जिला न्यायाधीश ने 2 जनवरी 2024 को डीडीए को निर्देश दिए थे कि मामले के निपटारे तक जमीन पर बने ढांचे को ढहाया न जाए। इस मामले में अदालत ने अपने विशेष अधिकारों का उपयोग करते हुए गिरफ्तारी के आदेश दिए हैं।
अदालत की अवमानना का मतलब होता है ऐसा कोई कार्य करना जिससे न्यायालय का अनादर हो या अदालत द्वारा दिए आदेश का पालन न करना या फिर अदालत के कार्य में किसी तरह से बाधा डालना। इसके अलावा अदालत के न्यायाधीशों का अनादर या उनके कार्य की अवज्ञा करना। लोकतंत्र के तीसरे स्तंभ के आदेश को न मानना, कुछ गलत कहना, बदनाम करना या किसी तरह का पूर्वाग्रह पैदा करना अदालत की अवमानना कहलाता है। अवमानना सिविल और आपराधिक दो तरह की होती है।