
शिमला। हिमाचल को आपदा के बाद फोरलेन पर पहली सुरंग मिल गई है। केंद्र सरकार ने कीरतपुर-मनाली नेशनल हाईवे पर निर्माण को मंजूरी दी है। सुरंग का निर्माण मंडी में छह और सात मील में होगा और इसकी लंबाई करीब दो किलोमीटर रहेगी। सुरंग बनने के बाद फारेलेन पर प्राकृतिक आपदा का कोई असर नहीं होगा। वाहन निरंतर गति से आवाजाही कर पाएंगे। इस मार्ग पर पहले सुरंग का प्रावधान नहीं था, लेकिन आपदा के दौरान नेशनल हाईवे को पहुंचे भारी नुकसान के बाद आईटी विशेषज्ञों की सिफारिश पर एनएचएआई ने दोबारा से सर्वेक्षण कर सुरंग बनाने का फैसला किया है। दरअसल इस मार्ग पर छह-सात मील के बीच नेशनल हाईवे के पास पहाड़ी खिसक गई है। आईआईटी के विशेषज्ञों की इस रिपोर्ट के बाद एनएचएआई ने केंद्र को सुरंग का प्रस्ताव भेजा था।
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इस प्रस्ताव के बाद अब निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। गौरतलब है कि आपदा के दौरान कुल्लू और मंडी में फोरलेन को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ था। आपदा के दौरान केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी नेशनल हाईवे का मुआयना करने आए थे। उन्होंने पहाड़ों पर नेशनल हाईवे को सुरंग के माध्यम से ले जाने की सलाह दी थी। इसके बाद प्रदेश स्तर पर राज्य सरकार की तमाम बैठकों में फोरलेन को बचाने के लिए सुरंग बनाने की सलाह दी थी। इसके साथ ही मुख्यमंत्री सुक्खू ने भी सुरंगों को प्राथमिकता देने का सुझाव एनएचएआई को दिया था। अब कीरतपुर-मनाली एनएच पर आपदा के बाद पहली सुरंग बनने जा रही है, जबकि अन्य एनएच पर फिलहाल पूर्व निर्धारित डीपीआर के अनुरूप काम होगा।
पठानकोट-मंडी नेशनल हाईवे में पद्धर से बिजनी तक डबललेन मार्ग को फोरलेन में बदलने की तैयारी की है। इस कड़ी में एनएचएआई ने केंद्रीय राजमार्ग मंत्रालय को पत्र भेजा है। इस पत्र में नेशनल हाईवे के इस हिस्से को फोरलेन में बदलने की सिफारिश की गई है। दरअसल पठानकोट-मंडी नेशनल हाईवे में इकलौते इस हिस्से की चौड़ाई डबल लेन है, जबकि अन्य सभी हिस्से फोरलेन में पूरे होने वाले हैं। पद्धर से बिजनी तक के हिस्से की डीपीआर पहले डबल लेन में बनाई जा चुकी है और यहां भूमि का अधिग्रहण भी डबल लेन के अनुसार ही किया गया है, लेकिन अब एनएचएआई इस हिस्से को फोरलेन में बदलने की तैयारी में है और इसके लिए केंद्र सरकार से अनुमति मांगी जा रही है।