शाहडोल। दाग़ना जैसी कुप्रथा व अंध विश्वास का शिकार फिर एक पांच माह का मासूम हो गया। आखिरकार उपचार के दौरान मेडिकल कॉलेज मे उसकी मौत हो गई। उसे कल ही जिला चिकित्सालय से मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया था।
जानकारी के अनुसार सिंहपुर खंड चिकित्सा क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पठरा निवासी रामदास कोल के पांच माह के पुत्र ऋषब की तबीयत बिगड़ने के बाद उसे नजदीकि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में परिजन दो दिन पहले लेकर आए थे। वहां स्वास्थ्य परीक्षण के बाद उसकी हालत नाजुक नजर आई। साथ ही बच्चे के शरीर में दागने के भी निशान नजर आए। ऐसा आभास हो रहा था कि बच्चे की तबीयत बिगड़ने के बाद पहले परिजनों ने अंध विश्वास में आकर गर्म सालाखों उसे दगवाया है। ज़ब उसकी तबीयत ज्यादा बिगड़ने लगी तो उसे सिंहपुर अस्पताल लाया गया। वहां से उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। वहां से भी उसे मेडिकल कॉलेज भेज दिया गया। वहां उपचार के दौरान 31 जनवरी को मासूम की मौत हो गई।
सिर्फ एफआईआर से कैसे मिटेगा अंधविश्वास
आदिवासी बाहुल्य शहडोल में दागने की यह कुप्रथा और अंध विश्वास वर्षों पुरानी है। अब तक इस दागने से दर्जनों मासूमों की मौत हो चुकी है। मामला उजागर होने के बाद कई दागने वाली दाइयों और परिजनों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की गई। कुप्रथा और अंधविश्वास पर आज तक अंकुश नहीं लगा सका। सवास्थ्य महाकमे के साथ-साथ जिला प्रशासन ने केवल रश्म अदायगी कर अपने कर्तव्यों से इतिश्री कर ली।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, डॉक्टर एके लाल ने बताया कि बच्चे का निमोनिया बिगड़ने से उसे सेफ्टी सिमिया हो गया था। उसे काफी नाजुक हालत में जिला अस्पताल लाया गया था। इस लिए उसे समुचित उपचार के लिए मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया था, जहाँ उसकी मृत्यु कल हो जाने की जानकारी मिली हैं।
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