
नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के एक पूर्व कर्मचारी को गिरफ्तार किया गया है। 63 वर्षीय इस शख्स पर आरोप है कि उसने जेएनयू और आईआईटी दिल्ली के कई प्रोफेसरों को 11 करोड़ रुपए का चूना लगा दिया। पुलिस का कहना है कि आरोपी ने डीडीए की कथित लैंड पूलिंग पॉलिसी के तहत सस्ते हाउजिंग प्रोजेक्ट के नाम पर ठगी की। आरोपी की पहचान पीडी गायकवाड़ के रूप में हुई है जो गुरुग्राम का रहने वाला है।

पीड़ित प्रोफेसरों की शिकायत के बाद आरोपी के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। आरोप है कि यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ इनवॉयरमेंटल साइसेंज में साइंटिफिक ऑफिसर काम करने वाले गायकवाड़ ने 2015 में नोबल सोशियो-साइंटिफिक वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन (एनएसएसडब्ल्यूओ) का गठन किया। दावा था कि वह इससे लोगों को सस्ते मकान दिलाएंगे। उन्होंने कथित तौर पर प्रजेंटेशन दिया और उन्हें संगठन का सदस्य बनने को लुभाया।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि गायकवाड़ ने संगठन के अध्यक्ष के नाते सदस्यों को बताया कि एनएसएसडब्ल्यूओ डीडीए की लैंडपूल पॉलिसी के तहत एल-जोन में जमीन की खरीद करेगा। शिकायतकर्ता एनएसएसओ के सदस्य बन गए और प्रॉजेक्ट में अपना घर बुक करा लिया। शिकायतकर्ताओं ने मेंबरशिप फीस और फ्लैट के लिए पेमेंट कर दिया। 1 नवंबर 2015 को आरोपी उन्हें नजफगढ़ में एल-जोन की जमीन दिखाने ले गया। हालांकि, आरोपी ने जमीन खरीद का कोई दस्तावेज नहीं दिखाया। कुछ साल बीतने के बाद शिकायतकर्ताओं को आभास हुआ कि वे ठगी का शिकार हो गए हैं।
2019 में गायकवाड़ ने कथित तौर पर शिकायतकर्ताओं को बताया कि वह अब एक अलग, सिद्धार्थ ऑफिसर्स हाउजिंग एंड सोशल वेलफेयर सोसाइटी लॉन्च करने जा रहा है। गायकवाड़ ने उन्हें कहा कि वे अपनी सदस्यता नई सोसाइटी के लिए बदल सकते हैं और इसके लिए जेएनयू दफ्तर आ जाएं। 2019 से शिकायतकर्ता गायकवाड़ को अपना पैसा लौटाने को कह रहे थे। वह इनसे करीब 11 करोड़ रुपए ले चुका था।