
बेमेतरा। रेवेन्द्र सिंह वर्मा कृषि महाविद्यालय व अनुसंधान केन्द्र, बेमेतरा में अनुसूचित जाति योजनांतर्गत महिला समूहों को मशरूम उत्पादन तकनीक का दो दिवसीय प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया गया। इस दो दिवसीय में 68 महिला प्रशिक्षणार्थियों ने प्रशिक्षण लिया। इस अवसर पर प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र का वितरण किया गया। अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय के डॉ. संदीप भण्डारकर ने प्रशिक्षणार्थियों को इस योजना का लाभ लेने के बारे में बताया कि एक बैग पर मशरूम लगाने पर मात्र 110 रुपए का खर्च आता है और प्रति बैग तीन सौ तक का मुनाफा लिया जा सकता है। उन्होंने कहा कम समय व कम लागत में मशरूम का बेहतर उत्पादन कर किसान आर्थिक रूप से समृद्ध बन सकते हैं।

उन्होने कहा यह खेती-किसानी के साथ-साथ किया जा सकने वाला रोजगार है। जिसमें सालभर अतिरिक्त आमदनी ली जा सकती है। अखिल भारतीय मशरूम उत्पादन परियोजना के वैज्ञानिक डॉ. हरविंदर सिंग, ने मशरूम के महत्व के बारे में प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण की रूपरेखा की जानकारी देते हुए कहा कि मशरूम छातेदार खाने योग्य फफूंद है। जिसमें काफी मात्रा में पोषक तत्व होता है। मशरूम शाकाहारी और मांसाहारी दोनों खाने में इसका उपयोग कर सकते हैं। उन्होंने मशरूम की प्रमुख प्रजातियां उत्पादन की स्थिति एवं मशरूम गृह का आकार प्रकार एवं वायु संचार की व्यवस्था पर विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान किया। कृषि महाविद्यालय में प्रोफेसर डॉ. के.पी. वर्मा ने मशरूम की वैज्ञानिक खेती, माध्यम की तैयारी, रखरखाव एवं शुद्ध व संक्रमित स्पान की पहचान संबंधित विभिन्न बातों पर चर्चा की एवं कृषकों को बताया।