
ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव

छत्तीसगढ़ में 15 साल सरकार चलाने वाले भाजपा को पिछले विधानसभा चुनाव में महज 15 सीटें मिली थीं और विपक्ष की भूमिका निभाने वाले कांग्रेस को 68 सीट और बाद में भाजपा 15 से घटकर13 सीटें पर आ गई तो सरकार में रहते कांग्रेस 68 सदस्यों से बढ़कर 71 सीटों पर पहुंच गई थीं। जो बाद में 15 से घटकर 13 तक पहुंच गई थीं, उन्होंने जिस तरह से आम लोगों के बीच अपने बातों को रखा, किसान, युवाओं, महिलाओं को भरोसे में लिया।लोगों ने भरोसा भी किया। आज जब कांग्रेस हार गई तब समीक्षा बैठक में पांच वर्षों तक दबे गुबार निकल रहे हैं। जिस तरह कार्यकर्ता और नेता आरोप लगा रहे हैं उनके बातों में कितनी सच्चाई है तहकीकात करना छोड़ कहीं प्रभारी को बदला जा रहा है तो किसी को निष्कासित किया जा रहा है। यानी हार से सबक नहीं मिला है लगता है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि ये प्रजातंत्र है किसी की अनदेखी करने का हश्र क्या होता है जान लिए होंगे। अभी लोकसभा चुनाव होना है कार्यकर्ताओं को अवसर और सम्मान नहीं मिलने पर उनका अनुभव और मेहनत का लाभ कैसे मिलेगा? और वह अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन बहुत अच्छे से कैसे कर पाएगा? किसी शायर ने ठीक ही कहा है कि जिंदगी तो जीने के लिए मिली थी,मगर अफसोस ऐ जिंदगी मैंने उसके इंतजार में गुजार दी। जिसे डर नहीं था मुझे खोने का, वो क्या अफसोस करता मेरे न होने का।
किनका हाथ उसे भी खोजें
प्रदेश की शांत फिंजा को अशांत करने का काम बदमाशों ने किया अब उनको जिले के बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है। पहले ये बदमाश राजनेताओं के खास हुआ करते थे उनके ही दम पर ये सब अवैधानिक और आसामाजिक कार्य बेखौफ करते रहे तब पुलिस वालों को दिखा या नहीं दिखा, किस मजबूरी में कार्रवाई नहीं कर पाए वे ही जाने। अब नई सरकार आने के बाद इन पर ताबड़तोड़ कार्रवाई होने की शुरुआत हो गई है। तेज तर्रार नेता शहर विधायक और मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने सबको टाइट कर दिया है क्योंकि वे शहर की आन बान और शान से समझौता करना पसंद नहीं करते । जनता में खुसुर फुसुर है कि अब नई सरकार को चाहिए किन नेताओं का हाथ इनके ऊपर था जिनके दम पर जनता की नाक में दम किये हुए थे। उन नेताओं पर भी कार्रवाई हो तो आगे उनको सबक भी मिले।
नशेबाजों के खिलाफ भी कार्रवाई हो
गुंडे बदमाश तो धरे जा रहे हैं लेकिन सट्टेबाजों और नशे के सौदागरों के खिलाफ कार्रवाई कब शुरू होगी, जनता को उस दिन का इंतजार है। जनता में खुसुर फुसुर है कि पुलिस को फ्री हेंड दिया जाना चाहिए ताकि ऐसे लोगों के खिलाफ भी धरपकड़ की कार्रवाई करे, पुलिस को सब मालूम है। कौन कहां ये सब काम कर रहा है।
हीरो-हीरोइन गायब
जिन पूर्व 20 विधायकों के टिकट कटे वे दिल्ली तक दौड़ लगाकर हीरो हीरोईन को राज्य की राजनीति से बेदखल करवा दिए। भाजपा विधायक राजेश अग्रवाल ने विधानसभा में पूर्व सीएम भूपेश बघेल से कहा कि मैंने आपका काम आसान कर दिया है। पूर्व विधायक बृहस्पत सिंह और विनय जायसवाल ने टिकट कटने पर मौन साधे रहे जैसे ही कांग्रेस के विपरीत परिणाम आए फूट पड़े। बाबा और पूर्व प्रदेश प्रभारी को हीरो हीरोइन से संज्ञा देकर छत्तीसगढ़ की पटल से गायब करवा दिया। जनता में खुसुर-फुसुर है कि हीरो-हीरोइन का काम ही होता है अपने हिस्से की अदाकारी कर पिक्चर से गायब हो जाते हा। अब अगली फिल्म में इंतजार करें।
सर्वे कंपनी को ढूंढ रहे पूर्व विधायक
जिन विधायकों के टिकट सर्वे के नाम पर काटा गया, उस सर्वे कंपनी को सभी 20 विधायक चुनाव से पहले भी ढूंढ रहे थे, अब चुनाव खत्म होने और सरकार बदलने के बाद भी ढूंढ रहे है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि 20 विधायकों की टीम भूपेश बघेल और उनके करीबियों का सर्वे उसी कंपनी से कराना चाहते है जिसने उनका टिकट काटने की रिपोर्ट ओपीनियन कांग्रेस को दिया था। 20 विधायकों की यह टीम इस बात का सर्वे कराना चाहती है कि कांग्रेस की लुटिया डुबाने वाले कौन-कौन है?
75 पार का नारा लगाने वाले हो गए बेहोश
पूर्व विधायक बृहस्पत सिंह जिस दमदारी से मोर्चा खोला वह काबिले तारीफ है। बृहस्पत सिंह का सीधा आरोप था कि कई बार टीएस सिंहदेव ने मीडिया से यह कहाकि 75 तो नहीं 55 सीट तक आ सकती है। जबकि बृहस्पत सिंह ने कहा कि यदि टिकट नहीं काटते तो कांग्रेस 55 सीट तक बड़े आराम से पहुंच सकती है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि अमरजीत भगत ने हार के बाद पहला बयान दिया कि सब अपने-अपने चलाने के चक्कर में कांग्रेस को ही चकरघन्नी बना दिए।
अभी भी मुगालते में कांग्रेसी
पांच साल पूर्व सीएम भूपेश बघेल के साथ काम करते-करते सभी कांग्रेसी भूपेश के रंग में रंग गए हैं। भूपेश है तो भरोसा है, लेकिन मजेदार बात यह है कि भूपेश ने कभी भी इस नारे पर विश्वास ही नहीं किया। अपने खास और अन खाटी कांग्रेसियों से अपने नारे का वजन बढ़ाने के लिए बड़े -बड़े पदों में आसीन कर दिया। वो सभी पांच साल तक मलाई खाते रहे और चुनाव में भूपेश के हाथ छाछ भी नहीं लगन दिए। जनता में खुसुर-फुसुर है कि भरोसे की भैंस पाड़ा जन गई। इसी मुगालते में कांग्रेसियों को सत्ता से बाहर होना पड़ा।
लोकसभा की रणनीति तैयार
सिर मुड़ाते ही ओले पडऩे की कहावत का उदाहरण बने दीपक बैज पीसीसी चीफ बनते ही पहला विधानसभा चुनाव हारने के साथ अपनी सीट भी नहीं बचा सके। उसके बाद भी दीपक बैज कहते फिर रहे है कि हमने लोकसभा चुनाव जीतने की रणनीति तैयार कर ली है। भैया तैयार करने से क्या होगा उसका इम्प्लीमेंट होना चाहिए जिससे आपके कार्यकर्ता भाजपा सरकार के खिलाफ ऐसा मुद्दा ढूंढे जिससे लोक सभा में 11 में से 5-6 सीट जीत कर अपनी प्रतिष्ठा को बचा सकते है। जनता में खुसुर फुसुर है कि दीपक को मोहन मरकाम का श्राप लग गया है। या फिर ये वो दीपक भूपेश के तेल से जलने वाला है। किसी दूसरी कंपनी का तेल चित्रकोट का पानी बन जाएगा। जो दीपक के सेहत के लिए नुकसान देही हो सकता है।