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मध्य प्रदेश: राष्ट्रीय बालिका दिवस पर मध्य प्रदेश के महिला एवं बाल विकास विभाग ने बाल विवाह मुक्त भारत के साथ एक दिवसीय कार्यशाला में बाल विवाह की रोकथाम और मध्य प्रदेश से 2030 तक बाल विवाह के खात्मे के उपायों पर गहन मंथन किया। बाल विवाह मुक्त भारत को इसमें अपने गठबंधन सहयोगी बचपन बचाओ आंदोलन का सहयोग मिला। बाल विवाह मुक्त भारत 160 से भी ज्यादा गैरसरकारी संगठनों का गठबंधन है जो 2030 तक देश से बाल विवाह के खात्मे के लिए बाल विवाह की ज्यादा दर वाले देश के 300 जिलों में जमीनी स्तर पर अभियान चला रहे हैं। इस कार्यशाला में मध्य प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने कहा कि बाल विवाह मुक्त मध्य प्रदेश बनाने के लिए गैरसरकारी संगठनों के साथ सहयोग के साथ जनसहभागिता बढ़ाना जरूरी है ताकि बाल विवाह के मामलों का समय रहते पता लगाया जा सके और इसे रोका जा सके।
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इस कार्यशाला में भूरिया के अलावा महिला एवं बाल विकास विभाग की प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी, संयुक्त निदेशक प्रज्ञा अवस्थी, संयुक्त निदेशक सुरेश तोमर, संयुक्त निदेशक विशाल नादकर्णी, आयुक्त डा. राम राव भोंसले, डीजीपी के प्रमुख स्टाफ अधिकारी डॉ. विनीत कपूर के अलावा पुलिस, पंचायती राज एवं शिक्षा विभाग के अधिकारी भी मौजूद थे।
बाल विवाह के उन्मूलन के प्रयासों में हरसंभव सहयोग का आश्वासन देते हुए राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने कहा, “शिक्षा के मामले में राज्य में स्थिति बेहतर हुई है। हमारे दूरदराज के गांवों की लड़कियां भी अब आगे बढ़ रही हैं और पढ़ाई कर रही हैं। अब यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम सुनिश्चित करें कि बेहतर जीवन की तलाश में इन लड़कियों को हमारी तरफ से हर तरह की मदद मिले और कोई भी बालिग होने से पहले जोर जबरदस्ती से इन्हें विवाह के बंधन में नहीं बांध सके। राज्य सरकार मध्य प्रदेश को 2030 तक बाल विवाह मुक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है और हम यह सुनिश्चित करेंगे कि इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सभी हितधारक साथ आए तांकि बाल विवाह मुक्त मध्य प्रदेश का सपना हकीकत बन सके।
भूरिया ने जागरूकता के प्रसार पर जोर देते हुए कहा कि एक ऐसे परिवेश के निर्माण के लिए जहां बाल विवाह फलफूल नहीं सके, ज्ञान एक जरूरी औजार है।
बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई में राज्य सरकार ने जिस तरह से अपने प्रयासों को मजबूती दी है, उसकी प्रशंसा करते हुए बचपन बचाओ आंदोलन के कार्यकारी निदेशक धनंजय टिंगल ने कहा, “मध्य प्रदेश सरकार ने जिस गंभीरता से इस मुद्दे को लिया है, वह उम्मीद जगाने वाला है। बाल विवाह मुक्त अभियान को समाज के हर वर्गों से मिले अभतपूर्व समर्थन के बाद अगले महत्वपूर्ण कदम के तौर पर इस तरह की कार्यशालाएं और विचार विमर्श बाल विवाह के खात्मे के लिए सभी हितधारकों को साथ लाने और हर राज्य के लिए उसके अनुरूप योजनाएं बनाने के लिए अहम हैं। नीतियों और प्रयासों के संम्मिलन और बहुआयामी रणनीतियों से ही हम 2030 तक बाल विवाह के खात्मे में सफल हो सकते हैं। हमारा उद्देश्य इस तरह के विचार मंथन के माध्यम से सभी हितधारकों को साथ लाना है ताकि हम आपसी तालमेल और साझा प्रयासों से इस अपराध का मुकाबला कर सकें।
बचपन बचाओ आंदोलन जिसे एसोसिएशन फॉर वालंटरी एक्शन (एवीए) के नाम से भी जाना जाता है, महिला कार्यकर्ताओं के नेतृत्व में चल रहे राष्ट्रव्यापी बाल विवाह मुक्त भारत अभियान का गठबंधन सहयोगी है। पूरे देश में सभी राज्य सरकारों और उनके विभिन्न विभागों और तमाम हितधारकों ने पिछले वर्ष 16 अक्टूबर को “बाल विवाह मुक्त भारत” अभियान को हरसंभव सहयोग और समर्थन दिया। इस दौरान पूरे देश में लोगों ने बाल विवाह के खिलाफ शपथ ली। मध्य प्रदेश के शिक्षा विभाग, महिला एवं बाल कल्याण विभाग, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और मध्य प्रदेश पुलिस ने 16 अक्टूबर के कार्यक्रम में भागीदारी के लिए अधिसूचनाएं जारी की। इस पहल के नतीजे में लाखों लोगों ने 2030 तक बाल विवाह के खात्मे के लिए शपथ ली। यह कार्यशाला भी उसी अभियान का हिस्सा है जिसका उद्देश्य मध्य प्रदेश में सभी हितधारकों को एक मंच पर लाना और राज्य से बाल विवाह के खात्मे के लिए कार्ययोजना तैयार करना है।
दिन भर चली इस कार्यशाला में बाल विवाह की रोकथाम में चुनौतियां और समाधान, बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 के तहत राज्य नियमों में जरूरी संशोधन, बाल विवाह एवं बाल यौन शोषण की रोकथाम, पॉक्सो पर अमल की स्थिति, बाल विवाह के परिप्रेक्ष्य में अदालती निर्देशों के तहत पॉक्सो के क्रियान्वयन जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई। इसके बाल यौन शोषण व बाल विवाहों की रोकथाम के लिए जिला स्तर पर किए गए सफल प्रयोगों पर भी चर्चा गई और इसे अन्य जिलों में लागू करने पर विचार किया गया।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 (एनएफएचएस 2019-21) के आंकड़े बताते हैं कि देश में 20 से 24 के आयु वर्ग की 23.3 प्रतिशत लड़कियों का विवाह 18 वर्ष की आयु से पहले ही हो गया था जबकि मध्य प्रदेश में यह आंकड़ा 23.1 प्रतिशत है। राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए कि वैधानिक उम्र से पूर्व किसी भी बच्ची का विवाह नहीं हो पाए, अपने प्रयासों को लगातार धार दे रही है।