
जबलपुर। रेलवे में कैशलेस भुगतान प्रणाली अपनाने से डिजिटलीकरण को बढ़ावा मिल रहा है। कैशलेस लेनदेन ने भारत के वित्तीय दृष्टिकोण में क्रांति ला दी है। ज्यादातर रेलवे उपभोक्ता अब भुगतान के पारम्परिक तरीकों को अपनाने के बजाय मोबाइल फोन के जरिए भुगतान कर रहे हैं इससे डिजिटलीकरण काफी बढ़ गया है । हार्ड कैश के उपयोग के बिना केशलेस भुगतान किया जा रहा है या स्वीकार किया जाता है। इसमें क्रेडिट/डेबिट कार्ड, चेक, डीडी, एनईएफटी, आरटीजीएस या किसी अन्य प्रकार के ऑनलाइन भुगतान शामिल हैं। डिजिटल ऑनलाइन भुगतान से नगदी ले जाने की आवश्यकता खत्म हो जाती है और इससे समय की भी बचत होती है। डिजिटल भुगतान मोड को एन्क्रिप्शन और डेटा प्रमाणीकरण के विभिन्न स्तरों के साथ सुरक्षित बनाया गया है।

कैशलेस भुगतान प्रणाली के तहत रेलवे में आरक्षण, बुकिंग, पार्सल एवं माल गोदामों के कार्यालयों के साथ-साथ मुख्यालय और मण्डलों के कार्यालयों में भी उपयोग किया जा रहा है। पश्चिम मध्य रेल में कैशलेस भुगतान प्रणाली में सबसे ज्यादा उपयोग टिकटिंग में किया जा रहा है। नवम्बर माह की बात करें तो कैशलेस भुगतान से पमरे में तीनों मण्डलों द्वारा आरक्षण कार्यालय (पीआरस) में लगभग 2800 टिकटें बुक करके 38 लाख 27 हजार रूपये का राजस्व अर्जित किया। भीम ऐप/ यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) प्रणाली का उपयोग कर 10600 टिकटों से 56 लाख 98 हजार रूपये का राजस्व अर्जित किया। इसी प्रकार मोबाइल टिकटिंग में नवम्बर माह में पमरे को सबसे बेहतर परिणाम प्राप्त हुए हैं. जिसमें 70 लाख से अधिक की टिकटों से 34 लाख 81 हजार का राजस्व अर्जित किया।
पश्चिम मध्य रेलवे तीनों मण्डलों जबलपुर, भोपाल एवं कोटा में डिजिटल ऑनलाइन मोड को बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं।