
शिमला। नगर निगम हाउस में शहर के सभी वार्डों की सडक़ें, रास्ते, पार्किंग और सामुदायिक भवन बनाने जैसे कई कार्यों के प्रस्ताव नगर निगम लगा रहा है वहीं आश्वासन भी मिल रहा है कि शीघ्रता से कार्य शुरू किए जाएंगे, लेकिन नगर निगम के पास इतना फंड ही नहीं है कि वह इन प्रस्तावित कार्यों को शुरू कर सके। जो कार्य हो रहे हैं वह स्मार्ट सिटी के पैसों से हो रहे हैं लेकिन यह कार्य भी पहले से प्रस्तावित हुए थे और इन कार्यों को करवाने के लिए पिछली नगर निगम में ही मंजूरी मिल चुकी थी, लेकिन शहर में नए प्रस्तावित कार्यों को करवाने के लिए नगर निगम के पास फंड ही नहीं है। नगर निगम को बरसात में करीब 80 करोड़ से अधिक नुकसान हुआ है। इसकी भरपाई करने के लिए भी नगर निगम केंद्र और प्रदेश सरकार से उम्मीद लगाए बैठा है। यहां तक कि नगर निगम ने प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार से भी मदद की गुहार लगाई है और इन्हेंं आश्वासन भी मिला है।
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नुकसान की भरपाई के लिए नगर निगम की सहायता की जाएगी लेकिन अभी तक मदद का कोई फंड नगर निगम को नहीं मिला है। ऐसे में नये कार्यों को करने के लिए फंड मिलना निगम के लिए संश्य ही बना हुआ है। हालत यह है कि वार्डों में ज्य़ादातर काम शुरू नहीं हो पा रहे हैं। नए कार्यों की मंजूरी तभी दी जा रही है जब विधायक या सांसद से पैसा मंजूर किया जा रहा है। नगर निगम के पास नए कार्यों के 70 से ज्यादा प्रस्ताव लंबित पड़े हैं तथा बजट का बंदोबस्त करने के लिए पार्षदों को सांसदों और विधायकों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। कांग्रेस पार्षद स्थानीय विधायक अनिरुद्ध सिंह, विक्रमादित्य सिंह और हरीश जनारथा के पास पहुंच रहे हैं। वहीं भाजपा पार्षदों ने भी सांसद सिकंदर कुमार और सुरेश कश्यप को अपने-अपने वार्डों में नए कामों के प्रस्ताव भेज दिए हैं। आंकड़ों के अनुसार आपदा के चलते शिमला शहर में 80 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ है। इसकी भरपाई के लिए आपदा प्रबंधन के तहत सिर्फ साढ़े छह करोड़ ही मिले हैं। कुछ बजट नगर निगम के पास था जिसे नुकसान की भरपाई के लिए लगाया जा रहा है। बाकी के कार्यों को करने के लिए नगर निगम राम भरोसे ही है।