शिमला: सर्वपल्ली राधाकृष्णन शिक्षण संस्थान बलना नोगली में जागृत महिलाओं का जिला स्तरीय विशाल सम्मेलन आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. राष्ट्रीय सेविका समिति और सतलज सेवा ट्रस्ट द्वारा आयोजित ‘समवर्धिन’ नामक सम्मेलन में भारतीय दर्शन में महिलाओं की स्थानीय समस्या स्थिति और समाधान या देश के विकास में महिलाओं की भूमिका पर विस्तार से चर्चा की गई। सम्मेलन के दौरान वक्ताओं ने महिलाओं को भारतीय संस्कृति और सभ्यता का पाठ भी पढ़ाया। बताया गया कि हमें पश्चिमी सभ्यता से हटकर भारतीयता को कायम रखना चाहिए, तभी हमारा देश एक सुसंस्कृत समाज बनेगा और आगे बढ़ेगा। इस दौरान महिलाओं से भी बातचीत की गई और उनके अनुभव साझा किए गए. चर्चा के दौरान ग्रामीण महिलाओं की मुख्य शिकायत यह थी कि वर्तमान समय में नशे का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है। इसे रोकने के लिए समाज को आगे आना होगा।

वक्ताओं ने कहा कि यह महोत्सव राष्ट्रीय सेविका समिति द्वारा आयोजित किया गया है. इसका मुख्य उद्देश्य महिलाओं को जागृत करना था। देखा जा रहा है कि बच्चों में संस्कार कम हो रहे हैं और वे भारतीय संस्कृति व सभ्यता को भूलने लगे हैं। इस सम्मेलन के मुख्य वक्ताओं में राष्ट्रीय सेविका समिति की प्रांत कार्यवाहिका डॉ. नेहा चौहान, डॉ. मुक्ता एवं कमलेश ने अपने विचार प्रस्तुत किये। इस दौरान ऐसी समाज सुधारक महिलाओं का भी वर्णन किया गया, जिन्होंने राष्ट्र निर्माण और भारतीयता के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कार्यक्रम के दौरान संयोजिका सुभद्रा शर्मा ने बताया कि यहां संवर्धिनी महिला सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें जिला स्तर के विभिन्न वर्गों की महिलाओं ने भाग लिया. इस सम्मेलन को आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य एक ऐसे समारोह का आयोजन करना था जिससे आजकल लुप्त हो रही संस्कृति, सभ्यता और परंपराओं को लोगों के सामने लाया जा सके और इसमें मुख्य रूप से तीन बिंदुओं पर चर्चा की गई। उन्होंने बताया कि एक महिला अपने बच्चों को कैसे संस्कार दे सकती है और एक महिला क्या भूमिका निभा सकती है।
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