अस्पतालों में शिशुओं को संक्रमण से बचाकर मृत्युदर शून्य करने की तैयारी
दिल्ली के सरकारी अस्पतालों को किया गया शामिल

फरीदाबाद: शिशुओं में बैक्टीरियल इंफेक्शन को जानने के लिए ट्रांसलेशनल स्वास्थ्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान की बैक्टीरियल पैथोजेन लैब के वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं. अस्पतालों में शिशुओं को संक्रमण से बचाकर मृत्युदर शून्य करने की तैयारी है.
शोध की रिपोर्ट के अनुसार देश में 14.2 प्रतिशत शिशुओं की मृत्यु सेप्सिस बैक्टीरियल इंफेक्शन की वजह से होती है. शोध में निकल आया है कि शिशुओं में बैक्टीरियल इंफेक्शन की वजह से एंटीबायोटिक दवा भी काम नहीं करती है और शिशु की दर्दनाक मृत्यु हो जाती है. बैक्टीरियल इंफेक्शन की वजह से होने वाली मृत्यु को शून्य करने के लिए टीएचएसआईटी के बैक्टीरियल पैथोजेन लैब के निदेशक डॉ. कृष्ण मोहन आत्मापुरी के दिशा निर्देश में शोध चल रहा है. इसमें बैक्टीरियल इंफेक्शन शिशु मृत्यु का बड़ा कारण सामने आया है. शोध का प्रतिनिधित्व कर रही डॉ.प्रतिभा ने बताया कि इंफेक्शन को समाप्त करने के लिए अस्पतालों को जागरूक किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस शोध का मुख्य उद्देश्य अस्पताल को इंफेक्शन मुक्त बनाना है.अस्पतालों को इंफेक्शन मुक्त बनाने के लिए गाइड लाइन तैयार की जाएंगी और अस्पतालों में क्रियान्वित की जाएंगी.

इस शोध का प्रतिनिधित्व कर रही डॉ. प्रतिभा ने बताया कि वह और उनकी टीम दो वर्षों से शिशु मृत्यु के कारणों पर शोध कर रही है. इसके लिए दिल्ली के चार अस्पतालों को शामिल गया है. इन अस्पतालों में सबसे अधिक डिलीवरी होती है और रोगियों को आवागमन अधिक रहता है. इसके अलावा बच्चों तक इंफेक्शन पहुंचने के कारण को जानने के लिए अस्पताल के प्रवेश से लेकर एनआईसीयू तक 50 जगहों को चिन्हित किया गया था. इनमें से छह जगहों से बैक्टीरियल इंफेक्शन पाया गया है और इन जगहों से ही बच्चों तक इंफेक्शन पहुंचता है. उन्होंने बताया कि लेबर रूम, अंबु बैग, नवजात की देखभाल करने वाले स्टाफ से, ऑपरेशन थियेटर, नियोनेटल आईवी पोर्ट और सिंक सरफेस से शिशुओं तक इंफेक्शन पहुंच रहा है.