
बड़ोह। समूचा हिमाचल इस वक्त सूखे की चपेट में है, लेकिन कांगड़ा जिले के चंगर क्षेत्र में हालात बद से बदतर हो चले हैं। यहां महीनों से बारिश न होने के कारण लोगों के चेहरों पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा सकती हैं। बड़ोह क्षेत्र में इस मौसम में सरसों, मटर, मसर व गेहूं के साथ-साथ सब्जियां भी कुछ क्षेत्रों में उगाई जाती हैं, लेकिन बारिश न होने के कारण फसल खराब होने की कगार पर है। गेहूं की फसल अब सूखना शुरू हो गई है। किसान पहले क्रिसमस पर फिर नववर्ष पर बारिश होने की आस लगाए बैठे थे, लेकिन दोनों ही मौकों पर बारिश नहीं हुई, फिर किसानों को लोहड़ी पर बारिश होने की पक्की उम्मीद थी, लेकिन लोहड़ी पर भी लोगों की उम्मीद पर पानी फिर गया। इस महीने लहसुन, प्याज, आलू की बिजाई हो रही है, लेकिन बरिश न होने के कारण आधे किसान असमंजस की स्थिति में है कि बिना पानी से कैसे फसल की बिजाई होगी।

उधर, खड्ड-नालों में भी पानी का बहाव बहुत कम रह गया है, जिससे पेयजल आपूर्ति भी प्रभावित हो सकती है। ऐसे ही हालात कुछ और दिन रहे तो गेहूं की साथ-साथ अन्य फैसले नष्ट हो जाएगी, जिससे किसानों को खाने के साथ-साथ चारे की भयंकर कमी से दो चार होना पड़ सकता है। उपमंडल धीरा के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत क्यारबां के गांव चोरी दा लाहड़ गांव के किसान अपनी फसल की प्रभावित हो रही पैदावार को लेकर खासी चिंतित हैं। इसके चलते क्षेत्र के किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें स्पष्ट नजर आ रही हैं। गांव के किसान जहां ड्राई स्पेल के चलते खासे परेशान है, वहीं ग्रामीणों की फसलों को जंगली जानवर तबाह कर रहे हंै। किसानों का कहना है कि वर्तमान समय तक करीब अस्सी प्रतिशत फसल जंगली जानवरों द्वारा नष्ट कर दी गई है। बारिश न होने के कारण भी उनकी फसलें अभी तक आशा अनुरूप उग नहीं पाई हैं और यदि ड्राई स्पेल का दौर यूं ही व्याप्त रहा तो पैदावार जीरो ही रहेगी।