रायपुर। कुख्यात बदमाश रवि साहू सट्टा, शराब, जुआ, सुपारी लेकर हत्या को अंजाम देता रहा। टिकरापारा सहित पूरे शहर में आतंक का पर्याय बन चुका था, लेकिन कांग्रेस की सरकार में एक छुटभैय्या नेता के मदद से रवि डॉन हत्या करने के बाद भी 6 माह बाद बाइज्जत बरी हो गया। सरकार बदले या न बदले गुंडे बदमाशों के हौसले हमेशा बुलंदी पर ही रहते हैं। राजधानी में गुंडे बदमाशों का आतंक कम होने का नाम नहीं ले रहा है। 6 दिन पहले एक युवक की बेरहमी से हत्या कर दी, आरोपी जेल चले गए लेकिन आरोपियों के रिश्तेदार अब मृतक पिता को जान से मारने की धमकी दे रहे है। घर में आकर केस वापस लेने के लिए दबाव बना रहे है।इसकी शिकायत करने पर पुलिस आरोपी के खिलाफ अपराध दर्ज कर खाना पूर्ति कर लिया है।
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कुछ दिन पहले भी इलाके में अपना वर्चस्व बनाने के लिए बेखौफ चाकूबाजी और मारपीट कर रहे हैं। रायपुर के सिविल लाइन थाना क्षेत्र अंतर्गत पंडरी इलाके के जगन्नाथ नगर में 3-4 बदमाशों का आपसी विवाद के चलते युवक को चाकू डंडे से मारते हुए वीडियो सामने आया है। इधर विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पुलिस के रात्रि गश्ती अभियान कर रही है पर बदमाशों पर इसका कोई असर नहीं पड़ रहा है। पुलिस के मुताबिक पुराना राजेंद्र नगर में सब्जी दुकान चलाने वाले शशिभूषण टंडन के बेटे राहुल टंडन की 21 दिसंबर की रात मोहल्ले के ही लक्की नेताम और उसके साथियों ने बेरहमी से हत्या करदी। हत्या करने वाले लक्की और उसके साथियों को पुलिस ने पकड़कर जेल भेज दिया है। लेकिन लक्की के रिश्तेदार राहुल के पिता को धमकाने लगे है। बुधवार को सुबह लक्की के पिता महेश नेताम अपने साथियों के साथ शशिभषण के घर घुसकर धमकी देते हुए गाली-गलौज करने लगे। महेश ने उन्हें जान से मारने चेतावनी भी दी है। बताया जा रहा है कि महेश और उसके साथी शशिभषण पर केस वापस लेने और गवाही नहीं देने का दबाव बना रहे है। ज्ञात हो कि शशिभूषण टंडन के के बेटे राहुल को आरोपी महेश के बेटे लक्की ने अपने साथियों के साथ धोखे से बुलाया था, इसके बाद अमलीडीह मार्ग में शराब पिलाकर हत्या कर दी। दिन दहाड़े हत्या करने वाली नाबलिग छूट कर फिर नशे के धंधे में हुई सक्रिय : राजधानी में दिन दहाड़े चाकू मारकर युवक की हत्या करने वाली नाबालिग साल भर में छूट गई हत्या जैसे गंबीर आरोप होने के बावजूद उसे बालिका संप्रेक्षण गृह में 2-3 साल भी नहीं रहना पड़ा। आसानी से छूटने के बाद उसने फिर नशे के धंधे में जुड़ गई। गुढिय़ारी पुलिस ने रेलवे स्टेशन के पास उसे कफ सिरप की तस्करी करते हुए पकड़ा साथ ही उसका एक साथी को भी गिरफ्तार किया है। पुलिस के मुताबिक रेलवे के प्लेटफार्म 6 से लगे कुंदरापारा के पास आमापारा स्वीपर कालोनी निवासी राहुल साहू और उसके साथ कथित नाबालिग लड़की संदिग्ध रूप से घूम रहे थे। पुलिस ने दोनों को पकड़ा । तलासी के दौरान उसके पास से 174 शीशी प्रतिबंधित कोडिन कफ सिरप बरामद किया।
248 किलोग्राम मादक पदार्थों के साथ 119 तस्कर गिरफ्तार
नार्कोस अभियान: रेलवे ने 1.5 करोड़ का मादक पदार्थ पकड़ा
छत्तीसगढ़ बना गांजा तस्करों का सुरक्षित ठिकाना
हर साल 600 करोड़ से अधिक की गांजा तस्करी, 20 राज्यों से जुड़ा है गांजा तस्करों का नेटवर्क
रेलवे सुरक्षा बल, दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ऑपरेशन नार्कोस अभियान चला रहा है। अब तक 1.56 करोड़ रुपए से अधिक मूल्य के नशीले पदार्थ जब्त किया है । रेल के माध्यम से नशीले पदार्थों की तस्करी के खिलाफ यह अभियान जून-22 में प्रारंभ किया गया था । रेलवे सुरक्षा बल, दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने इस अवैध व्यापार में शामिल ड्रग तस्करों को निशाना बनाने के लिये नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों के समन्वय से देश भर में ट्रेनों व चिह्नित ब्लैक स्पॉट में जाँच की जा रही है। आरपीएफ अभी तक 1.56 करोड़ रुपये के लगभग 1248 किलोग्राम विभिन्न नशीले पदार्थों के उत्पादों को बरामद किया गया है। रेलवे सुरक्षा बल, दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे अभी तक अपने कार्याधिकार क्षेत्र के भीतर एनडीपीएस ले जाने वाले 119 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे यात्रियों और सामानों के परिवहन में अग्रणी भूमिका निभाता है । इसके व्यापक नेटवर्क के कारण अपराधियों द्वारा अक्सर लंबी दूरी की ट्रेनों का उपयोग एनडीपीएस को आम यात्रियों के रूप में ड्रग कैरियर्स को छिपाने के लिए विभिन्न राज्यों में तस्करी के लिए किया जाता है ।
रेलवे सुरक्षा बल को अप्रैल 2019 से एनडीपीएस अधिनियम के तहत तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी करने का अधिकार दिया गया है। छत्तीसगढ़ में गांजा तस्करों का सुरक्षित ठिकाना बन चुका है। जितना 15 साल गांजा नहीं बिका उतना पिछले 5 सालों में गांजा की बिक्री हुई है। छत्तीसगढ़ में स्टाक कर पूरे देश में गांजा की सप्लाई कर गांजा तस्कर करोड़ों रुपए के कारोबार को अंजाम देते है। जीआरपी और पुलिस के अधिकारियों की माने तो ओडिशा और आंध्रप्रदेश से हर साल 600 करोड़ से अधिक का गांजा देश के करीब 20 राज्यों में तस्करी कर पहुंचाया जाता है। इन राज्यों में गांजा आपूर्ति का मुख्य रास्ता छत्तीसगढ़ के बस्तर, महासमुंद और रायगढ़ से होकर गुजरता है। इन्हीं तीन जिलों के अलग-अलग रास्तों से तस्कर गांजे की खेप अलग-अलग राज्यों में लेकर जाते हैं। सबसे ज्यादा गांजा हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, दमन-दीव,हिमाचल प्रदेश, आंधप्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, जम्मू-कश्मीर आदि राज्यों में भेजा जाता है। जानकारों की माने तो ओडिशा से छत्तीसगढ़ होते हुए देशभर में गांजा तस्करी की जा रही है। प्रदेश से कटा हुआ मलकानगिरी की पहाड़ी का हिस्सा ओडिशा में आता है। इस पहाड़ी से छत्तीसगढ़, ओडिशा व आंध्रप्रदेश की सीमा जुड़ी हुई है। यहीं से गांजे की खरीदी कर ट्रेनों के जरिए दूसरे राज्यों,शहरों में आपूर्ति की जा रही है। पुलिस अधिकारी भी स्वीकार करते है कि ओडि़शा से हो रही गांजे की तस्करी का दस प्रतिशत हिस्सा ही पकड़ा जाता है,शेष की भनक तक नहीं लग पाती। छत्तीसगढ़ के रायपुर रेलवे स्टेशन परिसर गांजा व शराब तस्करों का अड्डा बन चुका है। दरअसल ट्रेनों के जरिए अवैध गांजा, शराब आदि की तस्करी की घटनाएं लगातार सामने आ रही है। रेलवे सुरक्षा बल लगातार कार्रवाई भी कर रहा है। बावजूद इसके तस्करी की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही है। स्टेशन परिसर में ही कई तस्कर गांजा, शराब की खेप ले जाने ट्रेन का इंतजार करते हत्थे चढ़े हैं। पिछले तीन महीने के भीतर ही जीआरपी और आरपीएफ ने मिलकर बीस से अधिक ऐसे मामलों में कार्रवाई कर लाखों का गांजा व शराब बरामद करने के साथ ही मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, ओडिशा के तस्करों को दबोचने में सफलता प्राप्त की है। करोड़ों के कारोबार में बड़े-बड़े तस्कर जुड़े हुए है,जो कूरियर ब्वाय के जरिए गांजा मंगवाते है। गांजे की मांग सबसे अधिक ओडिशा के कंधमाल, कालाहांडी, गंजाम, भवानीपटना, मुन्नीमुड़ा, नवरंगपुर, कोरापुट जिले के व्यापारीगुड़ा, आंध्र-ओडिशा बॉर्डर और मलकानगिरी में गांजे की बड़े पैमाने पर खेती होती है।
दूसरे राज्यों के खप रहे शराब तस्कर मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, पंजाब, झारखंड, ओडि़शा आदि राज्यों से बस, ट्रेन या खुद के साधन से शराब लाकर छत्तीसगढ़ में खपा रहे है। ट्रेनों से गांजे की तस्करी पर पूरी तरह से रोक लगाने जीआरपी-आरपीएफ की टीम मिलकर काम कर रही है।ओडि़शा रूट की ट्रेनों पर टीम की हमेशा नजर रहती है। चेकिंग भी कर रहे हैं। यहीं कारण है कि लगातार तस्करों के साथ गांजे की बड़ी खेप के कई मामले हमने पकड़े भी है। तस्करी का रूट ओडिशा व जगदलपुर; ट्रेन, बस और सब्जी की गाडिय़ां छत्तीसगढ़ में 2020 के बाद गांजा तस्करी के बहुत ज्यादा मामले एकाएक सामने आने लगे। माओवादियों के पनाह में किस तरह देश की जवानियां तबाह हो रही है। इसे छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती ओडिशा के मलकानगिरी जिले के अंदरूनी क्षेत्र में आसानी से देखा और समझा जा सकता है। यहां करीब 5000 हेक्टेयर में गांजा की अवैध खेती हो रही है। माओवादियों से मोर्चा लेने केन्द्रीय अर्ध सैनिक बलों की तैनाती के बावजूद क्षेत्र में गांजा की खेती और तस्करी थमने का नाम नहीं ले रही है हां फर्क यह जरूर पड़ा है कि साल भर पहले जो गांजा तीन हजार रुपये किलो मिलता था वह अब पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश में जाकर सोने के भाव में तोले के हिसाब से बिक रहा है। इसके दाम बढऩे के कारणों के पीछे माओवादियों की बढ़ती हिस्सेदारी, हालिया विधानसभा और लोकसभा चुनाव को माना जा रहा है। वैसे तो ओडिशा के सभी माओवाद प्रभावित जिले में गांजे की खेती हो रही है पर आंध्र-ओडिशा सीमा चित्रकोण्डा के गांजा को उसकी बेहतरीन क्वालिटी के लिए जाना जाता है। यहां चित्रकोण्डा जलाशय के कट ऑफ एरिया और घने जंगलों के बीच गांजे की खेती हो रही है। इस पहुंच विहीन क्षेत्र में हाल ही में गुरुप्रिया सेतु के निर्माण से लोगों की आवाजाही बढऩे के साथ ही इलाके से गांजे की निकासी आसान हुई है। खुले आम बिकता है गांजा मलकानगिरी के अलावा ओडिशा के कोरापुट जिले के वैपारीगुड़ा, जैपुर, नबरंगपुर गांजा ट्रेडर्स के बड़े केन्द्र हैं पर दीगर राज्यों के तस्करों के लिए हाइवे पर बस बोरीगुमा प्रमुख केन्द्र है। बोरीगुमा क्षेत्र में फल-सब्जी की सबसे बड़ी मंडी है और इसकी आड़ में ट्रकों से गांजा पार हो रहा है। इसके अलावा कुछ तस्कर मलकानगिरी से छत्तीसगढ़ के सुकमा होकर हैदराबाद और रायपुर का रूख कर रहे हैं। इस अवैध कारोबार में पुलिस और सुरक्षा बलों को झांसा देने एम्बुलेंस और लक्जरी वाहनों के साथ महिलाओं का भी इस्तेमाल हो रहा है। बोरीगुमा में अच्छे किस्म का गांजा वर्तमान में 10 से 16 हजार रुपये किलो बिक रहा है जो दिल्ली जैसे शहरों में चिल्हर में 35 से 40 हजार रुपये किलो के दाम पर मिल रहा है और महंगा होने के कारण इसे अब तोले के आधार पर बेचा जा रहा है।