
केलांग। तीन साल बाद लाहुल घाटी की परिक्रमा पर निकले लाहुल घाटी के अधिष्ठाता देव राजा घेपन 83 दिन बाद सोमवार को अपने देवालय लौट आए हैं। सोमवार को राजा घेपन के गांव सिसु पहुंचते ही देव वाद्य यंत्रों और राजा घेपन के जयकारों से गूंज उठा। सैंकड़ों कारकूनों और देवलुओं की उपस्थिति में सिस्सू गांव का माहौल भक्तिमय हो गया। उधर, अपने भाई से मिलने कुल्लू से जगदम्बनी ऋषि भी सोमवार को सिस्सू पहुंचे। मलाणा के देव जगदम्बनी ऋषि (जमलू देव) को राजा घेपन का भाई माना जाता है। राजा घेपन की घाटी परिक्रमा संपन्न होते ही लाहुल घाटी में बर्फबारी की उम्मीद जगी है।

मान्यता है कि जब तक राजा घेपन परिक्रमा के लिए अपने देवालय से बाहर रहते हैं तो लाहुल में तब तक बर्फबारी नहीं होती है। सोमवार को देवलुओं ने देव विधि अनुसार सभी देव कार्य संपन्न किए। पटन घाटी सहित चंद्रा घाटी के दौरे के दौरान देवता ने गांव-गांव की परिक्रम की ओर ग्रामीणों को सुख व समृद्धि का आशीर्वाद दिया। सोमवार को कुल्लू जिला के मुख्य देवता जमलू ऋषि का बारह ऋषि देवघर का फेरा पूरा हुआ । इसके पश्चात देवता जमलू का अपने भाई राजा घेपन से लाहुल के सिस्सू में भव्य मिलन हुआ। इस दौरान देवता ने लोगों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद दिया।
21 अक्टूबर 2023 को राजा घेपन तीन साल बाद विधि पूर्वक अपने देवालय सिस्सू से घाटी की परिक्रमा पर निकले थे। उस दिन तिनन और खंगसर गांव के समीप गुंचलिंग में देवी-देवताओं का भव्य देवमिलन हुआ था। घाटी के ग्रामीण दोरजे सोनम, टशी, राकेश और सोमदेव ने बताया कि राजा घेपन की परिक्रमा के दौरान घाटी में रौनक छाई रही। राजा घेपन कमेटी के अध्यक्ष गोविंद ने बताया कि लाहुल में राजा घेपन और देवी बोटी की परिक्रमा हर तीसरे साल होती है। देवताओं की इस यात्रा का लोगों को बेसब्री से इंतजार रहता है। घाटी के आराध्यदेव परिक्रमा पूरी कर आज विधि विधान से देवालय में विराजमान हो गए। अब तीन साल बाद ही देवता लाहुल घाटी की परिक्रमा पर निकलेंगे।