
रायपुर। राजनांदगांव जिले के जनता से रिश्ता पाठक रोशन साहू ने एक और कविता शेयर किया है.
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।। सीतल छइहाँ बन जा ।।
बने बिचार उही कहावय ,जउन ल सबो बिचार करय।
बने बिचार जग पूजा पावय,गिनहा जम्मों बरस बरय ।।
एक ले अनेक सिरजगे, मन पबरित सिरजनहार के।।
बने बिचार के माथा उँचहा,सरग ले झर-झर फूल झरय ।।
कतको बिपत आवय भगावय,सुम्मत ले सबो दुख टरय ।
दिन बादर ले आवँय जावँय,झाँझ ले झन पाना झरय।।
आँखी के तारा राजदुलारा,बन-बन भटके मा बनगे ।
तोला मासा बिरथा साँसा,परन उहि नइ टारय टरय।।
अइसनो रुखराई जग मा,करले जतन नइ फूलय फरय।
सीतल छइहाँ बन जा तँय,आगी भोंभरा कतको जरय ।।
बोले भर म कुछू नइ होवय,ये जग कखरो कब सुनथे।
उवत सुरुज जगमग दिखय,अमर उही जे करम करय।।