
मोहन भइया अपनी कार्यशैली से लोगों के दिलों में बस गए
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पार्टी को हर मुश्किल से उबारने वाले पॉलिटिकल डेमेज कंट्रोलर
रायपुर। प्रदेश की जनता से सीधा रिश्ता रखने वाले प्रदेश के एकमात्र नेता बृजमोहन अग्रवाल है जिसके प्रदेश भर में लोकप्रियता है। एक ऐसे नेता है जो सीधे जनता से जमीनी रिश्ता रखने वाले है। बृजमोहन प्रदेश में ऐसे जनसेवक के रूप में स्थापित है जो धर्मात्मा तो है ही सनातन धर्म की ध्वजा बुलंदी से उठाए हुए आगे बढ़ रहे है। जिन्हें पूरे प्रदेश की जनता उनके धार्मिक क्षेत्र में योगदान को लेकर स्नेहवश मोहन भैइया के नाम से संबोधित करती है। रायपुर दक्षिण विधानसभा से आठवीं बार ऐतिहासिकर जीत हासिल करने वाले राजधानी के सबसे लोकप्रिय नेता बृजमोहन अग्रवाल है जिसे उनके विधानसभा क्षेत्र के अलावा पूरे प्रदेश की जनता बड़े से बड़े पद पर देखना चाहती है। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है। छत्तीसगढ़ की राजनीति में बृजमोहन अग्रवाल शायद सबसे पसंदीदा नेता हैं। वे अविभाजित मध्यप्रदेश में पटावा सरकार में मंत्री रहे इसके बाद रमन सिंह सरकार के तीनों कार्यकाल में मंत्री रहे हैं। इसके साथ ही उनके पास सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग, बायो टेक्नोलॉजी, पशुपालन, मछली पालन, अयाकट, धार्मिक ट्रस्ट जैसे विभाग भी हैं। 2023 के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी महंत राम सुंदर दास को 67.919 मतों के अंतर से पराजित किया।
जीवन परिचय – बृजमोहन अग्रवाल का जन्म 1 मई 1959 को रायपुर में हुआ था। अग्रवाल 1990 से लगातार विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करते आ रहे हैं। मध्य प्रदेश से बंटवारे से पूर्व भी वे मंत्री का पद संभाल चुके हैं। मध्य प्रदेश विधानसभा द्वारा उन्हें सर्वश्रेष्ठ विधायक का पुरस्कार भी प्रदान किया गया है। उन्होंने एमकॉम तक शिक्षा प्राप्त की है। साथ ही रायपुर के दुर्गा महाविद्यालय से उन्होंने एलएलबी तक की शिक्षा पूर्ण की है। राजनीतिक सफर अग्रवाल ने मात्र 16 साल की उम्र में ही 1977 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की सदस्यता ले ली थी। वर्ष 1981 और 1982 के दौरान वे छात्रसंघ के अध्यक्ष भी रहे। 1984 में वे भारतीय जनता पार्टी के सदस्य बने। 1988 से 1990 तक वे भाजयुमो के युवा मंत्री भी रहे। 1990 में वे पहली बार मध्यप्रदेश विधानसभा में विधायक चुनकर आए। वे राज्य के सबसे युवा एमएलए थे। इसके बाद से 1993, 1998, 2003, 2008, 2013 में वे विधायक चुने गए।
रायपुर दक्षिण को बनाया अभेद किला रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट है ऐसी सीट है जहां से कांग्रेसी चुनाव लडऩे से घबराते हैं। इसे बृजमोहन अग्रवाल ने अभेद किला बनाया है। जिसे पिछले 33 साल से कांग्रेस भेद नहीं पाई है। वहीं बीजेपी की तरफ से एक ही बृजमोहन अग्रवाल आठवीं बार इस विधानसभा सीट से चुनाव जीतने का रिकार्ड बनाया।
क्या है विधानसभा सीट का इतिहास
राज्यगठन के पहले ये पूरा इलाका केवल एक सीट का हुआ करता था। अभी वर्तमान में रायपुर सिटी में चार विधानसभा सीटे हैं, लेकिन पहले केवल एक ही सीट हुआ करती थी। तब से ही बृजमोहन अग्रवाल यहां के विधायक हैं। बृजमोहन अग्रवाल 1990 में पहली बार अविभाजित मध्य प्रदेश में विधायक बनें. इसके बाद भी वो 1993,1998 में भी अविभाजित मध्य प्रदेश में विधायक बनें। फिर छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद वो लगातार चार बार 2003, 2008, 2013 और 2018 में चुनाव जीत चुके हैं। रायपुर दक्षिण विधानसभा में यहां कोई जातिगत समीकरण भी काम नहीं आता. यहां पूर्ण रूप से लोकतांत्रिक व्यवस्था दिखाई देती है. कई पीढिय़ों से वोटर बृजमोहन अग्रवाल को वोट दे रहे हैं। बृजमोहन अग्रवाल की यहां के हर परिवार में पहुंच है।