
रायपुर। केंद्रीय अर्थमंत्री निर्मला सीतारामण ने हाल ही में स्पष्ट किया है कि अन्न पदार्थ एवं उत्पादों को प्रमाणपत्र देने का अधिकार केवल सरकार को ही है; निजी संस्थाओं को नहीं ! ऐसा होते हुए भी कुछ निजी मुसलमान संस्थाएं गैरकानूनी ढंग से ‘हलाल प्रमाणपत्र’ देकर व्यापारियों को लूट रही हैं । इस गैरकानूनी हलाल प्रमाणपत्र एवं हलाल उत्पादों पर उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रतिबंध लगाया है। उसी प्रकार छत्तीसगढ राज्य में भी प्रतिबंध लगाया जाए, ऐसी मांग हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों ने छत्तीसगढ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा एवं मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से मिलकर की। इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा बोले, ‘‘यह विषय गंभीर है । ऐसा लगता है कि आज ही इसपर प्रतिबंध लगाना चाहिए; परंतु आनेवाले सप्ताह में हलाल उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने का प्रयत्न करेंगे। मुख्यमंत्री से चर्चा करेंगे कि सरकार इस पर गंभीरता से कार्रवाई करे।’’ इसके साथ ही मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने शिष्टमंडल को आश्वासन दिया है कि पूछताछ कर कार्रवाई की जाएगी ।

‘हिन्दू जनजागृति समिति’के महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ संगठक सुनील घनवट ने उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा एवं मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को जानकारी देते हुए कहा कि दूध, शक्कर, बेकरी उत्पाद, नमकीन, रेडी-टू-ईट, खाद्यतेल, औषधियां, वैद्यकीय उपकरण एवं सौंदर्यप्रसाधनों से संबंधित सरकारी नियमों में उत्पादों के वेष्टन पर हलाल सर्टिफाइड चिन्हांकित करने की कानूनी प्रावधान नहीं, इसके साथ ही औषधि एवं सौंदर्य प्रसाधन कानून, 1940 एवं संबंधित नियमों में हलाल प्रमाणपत्र के लिए कोई भी प्रावधान नहीं । ऐसी परिस्थिति में कोई भी औषधि, वैद्यकीय उपकरण अथवा कॉस्मेटिक के वेष्टन पर हलाल प्रमाणपत्र से संबंधित कोई भी तथ्य प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्षरूप से प्रविष्ट करने पर, वह एक दंडनीय अपराध है । भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) को खाद्यपदार्थाें के मानक निर्धारित करने और प्रमाणपत्र देने का अधिकार दिया गया है । हलाल प्रमाणन, यह खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता के विषय में संभ्रम निर्माण कर, सरकारी नियमों का उल्लंघन करता है ।