पू. सी. रेल मनाएगा विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस

इंद्रनील दत्त
असम। विभाजन के दौरान भारत के लोगों द्वारा सामना किए गए संघर्ष और पीड़ा से भारतीयों की वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों को अवगत कराने के लिए भारत सरकार ने 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में घोषित किया है। भारत का विभाजन मानव के अभूतपूर्व विस्थापन और लोगों के जबरन पलायन की कहानी है। यह इस बात की भी कहानी है कि कैसे जीवन का एक तरीका और सह-अस्तित्व की आयु अचानक समाप्त हो गई, जिससे लाखों लोगों को दूसरे स्थान पर और प्रतिरोधक वातावरण में नए आशियाने की तलाश के लिए मजबूर होना पड़ा। भारत के लोग आजादी का अमृत महोत्सव मनाते हुए देश के उन बेटे-बेटियों को नमन करते हैं, जिन्हें भारत के विभाजन के दौरान न सिर्फ अपने पैतृक घर बल्कि अपने जीवन का भी बलिदान देना पड़ा। देश के बाकी हिस्सों के साथ, पू. सी. रेल भी आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाएगा। भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में पू. सी. रेल के क्षेत्राधिकार के अधीन पांच मंडलों के सभी प्रमुख जिलों को कवर करने के लिए कई प्रमुख रेलवे स्टेशनों का चयन किया गया है।
आम लोगों की दृष्टि के लिए 1947 में भारत के विभाजन के कारण भारतीयों द्वारा झेले गए दर्द की तस्वीरों को प्रदर्शित करने वाले प्रदर्शनी स्टाल और होर्डिंग लगाए जाएंगे। इस दिन स्टेशनों पर स्वतंत्रता सेनानियों और उनके स्वजनों की भागीदारी के साथ विभाजन की त्रासदी को प्रदर्शित करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। जिन स्टेशनों पर प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाना है, उनमें कटिहार, मालदा कोर्ट, समसी, किशनगंज, न्यू जलपाईगुड़ी, सिलीगुड़ी जंक्शन, अलीपुरद्वार जंक्शन, न्यू अलीपुरद्वार, न्यू कोचबिहार, फालाकाटा, न्यू माल जंक्शन, कोकराझार, रंगिया जंक्शन, बरपेटा रोड, न्यू बंगाईगांव जंक्शन, गोवालपारा, रंगापाड़ा नॉर्थ, उत्तर लखिमपुर, नाहरलगुन, गुवाहाटी, लामडिंग, सिलचर, अगरतला, डिमापुर, फरकाटिंग, गोलाघाट, जोरहाट टाउन, मरियानी जंक्शन, भोजो, मोराणहाट जंक्शन, शिमलगुड़ी जंक्शन, शिवसागर टाउन, दुलियाजान, डिब्रुगढ़, मार्घेरिटा, लीडो, तिनसुकिया जंक्शन और न्यू तिनसुकिया शामिल हैं। इसके अलावा, दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे (यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल) की तिनधरिया कारखाना में भी एक प्रदर्शनी आयोजित की गई है। विभाजन के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता। नफरत और हिंसा के कारण लाखों भारतीय विस्थापित हुए और कई लोगों ने अपनी जान गंवाई। इस दिन का पालन करने से सभी को सामाजिक विभाजन, असामंजस्य को दूर करने और एकता की भावना को और मजबूत करने की आवश्यकता की याद दिलाने में मदद मिलेगी।


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